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पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१३१

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मोविया की लड़की १३३ " अव वह मुझे फिर पाने के लिये कहेगी, " कोट पहनते हुए पावेल ने सांचा "वह मुझे अपना नाम और यह बतायेगी कि वह घर पर कब मिलती है ..... " - फर्श पर अपने पैरों के पास देखकर लड़की ने सोचते हुए कहा : "कल तुमने बहुत अच्छी बातें की थीं " हम नारियों के विषय में . " इन शब्दों को सुन कर उसे वही खुशी हुई और उसके मन में उसके प्रति उठी हुई घृणा कुछ देर के लिए दव गई । टसने माफी सी माँगते हुए मुस्करा कर कहा : "मुझे बहुत खुशी हुई कि तुम ऐसा सोचती हो "मैं शराब पिए हुए __ था मैं वैसे पीता नहीं हूँ , तुम जानती हो अच्छा सलाम " उसने चुपचाप अपना हाथ बढ़ा दिया । वाहर सढक पर श्राकर उसने सोचा : " उसने मुझसे फिर पाने के लिए नहीं कहा ! वह पैसे लेना नहीं चाहती थी - मुझे ताज्जुव है, क्या ? " उसे यह भी याद नहीं रहा कि कल उसने क्या बात की थी और उसे उसके चेहरे की भी धुंधली सी याद रही । अपने घर के पास पहुंच कर उसने श्रानन्द और पश्चाताप ये भर कर सोचा : " अगर मैं उससे दुबारा मिलू तो उसे पहचान भी न सदूंगा . " पानी धीर धोरे वरस रहा था । उसका कोट भीग कर उसके कन्धी पर चिपक गया था । उसका सिर दर्द कर रहा था और उसे नीट श्रा रही थी । उसकी मी उससे मिलकर बोली भी नहीं । उसने टमरी तरफ देगा तक नही । यह एक कोने में बैटरर देर तक उसे अपनी मजबूत बाहों में बाटा गंधते देखता रहा । उसकी बाहों में मुट्ने समय पंगियों टभर उठनी चीं । पाह कितनी सुन्दर और म्यस्थ थी । मौन भंग करने के लिये उसने पदा :