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पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/२५४

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दो नन्हें बच्चों की कहानी कात्का, जो बुरी तरह कांप रही थी , उठकर खड़ी हो गई "बहुत, बहुत ज्यादा ठंड है, " लड़की फुसफुसाई सचमुच ठंड बहुत ज्यादा बढ़ गई थी । धीरे धीरे बरफ के बादल ___ र ठाम हो गए थे जो कहीं घरफ के खम्भों के रूप में तथा कहीं हीरे जड़े विशाल परदों के रूप में दिखाई पड़ते थे । जव वे सड़क को वत्तियों के ऊपर होकर निकलते या रोशनी से चमकती हुई दूकानों की खिड़कियों के सामने होकर गुजरते तो वढा सुन्दर दृश्य उत्पस कर देते थे । वे विभिन्न प्रकार के रंगों से चमक रहे थे । उनकी ठंडी तीखी चमक आँखों में दर्द पैदा कर देती थी । __ मगर इस दृश्य का सौन्दर्य मेरे नन्हे नायक और नायिका को श्राकर्षित ___ करने में असमर्थ रहा । " ओहो ! " अपने खोल में से नाक बाहर निकालते हुए मिश्का __ बोला, “यह तो पूरा टैना का टेना पा रहा है ! चल का का , उठ ! " ___ "दयालु सज्जनो ......, " लड़की सड़क पर दौड़ती हुई कांपती - श्राज में चीखी । " सबसे छोटा सिक्का, मिश्का, " ने प्रार्थना की और फिर जोर से चीया : " भाग काका । " ____ो शैतान, जरा मेरे हाथ तो पहनायो ! " एक लम्बे पुलिस के सिपाही ने दुपटा जो पचानक फुटपाय पर आ निकला था । मगर ये दिखाई भी नहीं पड़े । दोनों गेंदें नुढ़कती हुई पराभर में हो पायों में प्रोम " भाग गए जैतान, " पुलिस वाला हिनहिनाया और सदा की साफ देयकर प्रसन्न होकर मुत्तरा उठा । दोनों नन्हे सैतान अपनी पूरी ताफस से औरते और हंसते पते जा धे ! हा का झा र गारयार रसके कपड़े में उलझ जाता था जिससे यह गिर परती गी । " भगरान. फिर गिर पड़ी जमे हो वह गिलो सो ठमी हुई