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पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/४८

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मालवा औरत ऐसी ही है जैसे बिना नमक की रोटी । क्या तुम ऐमी सारसो को बजा कर पानन्द उठा सकते हो जिसमें तार न हो ? • मूर्स !" "उस्ताद ? कल तुमने कितनी अच्छी बातें सुनी थी ।" वासिलो मद कर वोला । ' वह सोफका से यह पूछने के लिए बड़ा उत्सुक था कि उसने माला और याकोव को कहाँ देसा या और ये क्या कर रहे थे परन्तु यह वात पूछने में उसे बहुत शरम पा रही थी। झोपड़ी में श्राकर उसने एक प्याले में शराव उंदेकी-सोझका के लिए इस श्राशा से कि इससे उसकी जवान खुल जायगी और वह उन दोनों के बारे में अपने श्राप ही बता देगा। ___परन्तु सर्योझका ने गिलास सालो कर दिया और गुर्राया, पूरी तरह गम्मीर होकर झोपदी के दरवाजे पर बैठकर पैर फैजाये और जम्हाई की। ___ "इस तरह की शराब पीना तो जमे श्राग निगलना है," यह वोला । "और क्या तुम इसे नहीं पी सकते !" जिप्स तेजी से मर्याकका ने प्याला भरी हुई शराव अपने गले में उंडेल ली थी उस पर घाश्चर्य करते हुए वासिली ने पूछा। "हां, मैं पी सकता हूँ !" यह गरायो अपना लाल मिर हिलाते हुए अपनी हथेली से भीगे गलमुच्छों को पॉदता हुप्रा योला । "हो, में पी मरना हूँ, भाई । मैं सब काम जल्दी करता हूँ और विरएन यौध रूप में । मुझे इधर-उधर करना और दोल डालना पसन्द नहीं । मोधे यागे परे चलो,मेरा मिन्दान्त है ! इससे कोई मतलब नहीं कि तुम छा िपचांग हम सब 'को एक ही रास्ते जाना ई-मिटो में ....और तुम इममे वय नहीं मफते!" "तुम सारेगम जाना चाहोगे, क्यों ?' पापिलो मे मावानी में अपने विषय पर साते हुए पुला। "जय मेरा मन होगा चला जाऊंगा। चौर जय मेरो दिन होगी