पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/७६

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मालवा तुम थव बच्चे नहीं हो........ सिर्फ यह याद रखना-मैं ज्यादा नहीं चलू गा । शायद मैं जिन्दा रह".... परन्तु जहाँ तक काम करने का सवाल है-मुझे विश्वास नहीं कि मैं कर सकूँगा........"मैं सेतीवारी करना भूल ग .."इसलिए इस बात को मत भूलना कि ""घर पर तुम्हारे एक माँ है।" से बोलना बड़ा कठिन लगा होगा । उसके शब्द ऐसे लग रहे थे मानो उसके दातों में चिपक गए हों । उसने अपनी दादी को थपथपाया और उसका हाथ कांपने लगा। मालवा ने उसकी तरफ गौर से देखा । साँझका ने एक थोख सिकोड़ी और दूसरी से, जो यदी और गोल यी, याकोय के चेहरे को और कठोरता पूर्वक देवा । याकोव खुशी से फूल रहा था परन्तु इस डर से कि उसकी सुशी कहीं प्रकट न हो जाय, चुपचाप मंठा हुश्रा अपने पैरों को देखता रहा। "तो अपनी माँ को मत भूल जाना याद रतो कि तुम उसंक इकलौते बेटे हो !" वासिनी ने कहा। "तु मुझको यह बताने की जरूरत नहीं, मैं जानता हूँ !" याकोय ने सितुदो हुए जवाब दिया । "सच्ची बात है, जर तुम जानते हो" टसे अविश्वासपूर्वक देखते हुए उसके बाप ने कहा- "मुझे सिर्फ यही कहना है-भूल मत जाना !" दामिनी ने एक गहरी साँस ली । बहुत देर तs चारों सामोश बैं रहे । सब मालवा योलो : "वन्टो चल्ली ही वजने वाली है।" "दा, मैं भी चल रहा है।" गले होते हुए यासिती चोला । था. तीनों की यही किया। "मलपिका, रजो! 'अगर तुम फनी योगा की घरफ भायो तो शायद तुम मुझसे मिलने श्यय सानोगे ? मिममिग, युन्द, मार का गाय, युन्न निकोलो-तिकोयत्या घोलोस्ट !" मुझे नियम को उसे अधिक दापिक्षी ने