पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/८४

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विदूपक हूँ जहाँ मुझे कोई नहीं समझता, नतों की प्रत्येक वस्तु मेरे लिए भयंकर रूप से विदेशी है, जहाँ के भयक्षर , अपरिचित कोलाहल से मेरे कान बहरे हो रहे हैं । क्या ऐसे स्थान पर मैं अपने चेहरे पर एक शान्त मुरकराहट लिए, केवल स्वयम् को ही अपना मित्र धनाए, उस तरह मस्त होकर रह सकता हूँ जिल प्रकार यह साहसी, रोयीना व्यक्ति यहां रहता है ? मुझे अनेक ऐसी घटनाओं का पता चला जिनमें इस अंग्रेज ने एक दुस्साहसी व्यक्ति का पार्ट अदा किया था । मैं उसके चरित्र में सम्पूर्ण गुणों का अनुमान कर उसका प्रबल प्रशंसक बन गया । उसे देखकर मुझे डिकिन्स के उन पात्रों की याद थाती जो बुराई और भलाई दोनों ही अवसरों पर दुस्साहसी घने रहते हैं । एक बार दिन के समय , जब मै श्रोका नदी के पुल पर होकर जा रहा था , मैंने उसे नामों पर बने पुल के किनारे बैठे हुए मदली पफरते देखा । , मैं रुक गया और बहुत देर तक उसे मदली पकहते देखता रहा । हर बार ज्य उसके कांटे में कोई मदली फंस जाती तो वह उसे बाहर निकाज फर अपने मुंह के पास लाता और उसके मुंह में मीटी बजाता था कर पाता । इसके बाद बात होशियारी से वाह उसे कोर्ट में में माता और फिर पानी में फेंक देवा । हर बार जब वह अपने बाटे में चुमा लगाता तो टममे कुछ काहा और भगर पुल के नीचे होकर कोई नाव उसके पास हार गुजरसी सो यह शपनी विना गोट वाली छोटी टोपो को सार हर नार पर बेटेप अपरिचित व्यक्तियों को सलाम करता । थौर मगर टमें - इसका जवाप मिलतानो पाा उनकी पोर भयर घरा बनाता चौर मां अपर पा देवा । साधाररन . पर अपना मनोरन करना माता , नीर ऐसा करने में हमे यहुरा गुमो धोमी गी । दूसरी बार मन में ए . पी पर मा दाग में ये देगा । यहां में यह नीचे लगे हुए मेरे को देश - में । ।