सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/१३०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१२० गोल-सभा महीनों में अपना जो खन बहाया है, उससे यदि सरकार यह नहीं समझ सकी कि यह कर कितना अन्याय-पूर्ण है, तो फिर वाइस- राय के साथ भारतीय नेताओं के समझौते की कोई कान्फ्रेंस नहीं हो सकती। वाइसराय का कहना है कि जो लोग इस कर को रद करावें, वे इतनी ही आय के किसी दूसरे कर के लगाए जाने का प्रस्ताव करें। वाइसराय ने यह कहकर न केवल भारत को दूसरी हानि पहुँचाने का प्रयत्न किया है, बरन् भारतीय नेताओं का अपमान किया है ! ये सब बातें इस बात का प्रमाण हैं कि इस प्रकार भारत को हर प्रकार कुचलनेवाली शासन- प्रणाली अनंत काल तक जारी रहेगी। हम यह भी बता देना चाहते हैं कि न केवल भारत सरकार, किंतु समस्त संसार की सरकारें उन कानूनों के बनाए रखने की चेष्टा करती हैं, जिनको जनता अनुचित समझती है, और कानूनों के रूप में श्रा जाने पर उनका अस्तित्व जल्दी नहीं मिटता। नमक के अतिरिक्त जनता की मांग के संबंध में हमने जो बातें उपस्थित की थीं, सरकार पर उनका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। हमने जिन शर्तों को उपस्थित किया है, उनको देखते हुए भारत और भारत-सरकार के बीच एक विशाल अंतर है। ऐसी अवस्था में समझौता हो सकना कैसे संभव था ? अतएव समझौता विफल हो जाने के कारण किसी प्रकार का असंतोष अनुभव करने की आवश्यकता नहीं । कांग्रेस और सरकार के बीच एक भीषण युद्ध चल रहा है । राष्ट्र ने जिस अस्त्र का इस