बारहवां अध्याय निजाम हैदराबाद के प्रतिनिधि मोहम्मद अकबर हैदरी ने कहा कि मैं साम्राज्य के लोगों को विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि जो संबंध भारत के रजवाड़ों का ब्रिटिश पार्लियामेंट से है, उसे कोई पृथक नहीं कर सकता। आपने साथ ही यह भी कहा किरियासतीभारतवाले ब्रिटिश भारतवालों का भी उत्थान चाहते हैं, जिसे इस सभा के परिणाम-स्वरूप मिलने की उम्मेद की। श्रीनिवास शास्त्री ने कहा कि ग़लतफहमी या पक्षपात के काले बादलों से ढकी हुई समस्याओं पर नीति के दो चमकते हुए तारे नजर आए हैं, जिनकी मदद से हम अपना मार्ग अनुसंधान कर सकते हैं। उन दोनो में से एक तो एक वर्ष पूर्व की वाइसराय की घोषणा थी, जिसमें उन्होंने १९१७ की घोषणा के अनुसार भारत का लक्ष्य 'डोमीनियन स्टेटस' प्राप्त करना बतलाया था। दूसरा गत जुलाई मास का वाइसराय का भाषण है। इसी दिन सभा के भारतीय प्रतिनिधियों के नाम बहुत-से लोगों ने मिलकर यह पत्र, एक प्रसिद्ध व्यक्ति के हाथ, भेजा था- "She stood before her traitors bound and bare, Clothed with her wound and with her naked shame, As with a weed of fiery tears and flame, Their mother-land, their common weal and care. And they turned from her and denied, sware, They did not know this woman nor her name.
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