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पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/१८०

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गोल-सभा भारतीय पहले हैं, और राजा पीछे । वे राजा रहकर भारतीयों को प्रसन्न नहीं कर सकते । विशाल भारत बनाने के लिये फेड. रेशन के ढंग का समर्थन तो राजों ने कर ही दिया है । फेड- रल-प्रबंध के पूर्व उसके अधिकारों का निश्चय सरकार के सब- से ऊँचे ज्यूडिशल ट्रिब्यूनल के सामने हो जाना चाहिए। इससे कार्य-संपादन होने में बड़ी सुविधा होगी। डॉ. मुंजे ने लॉर्ड पील के भाषण का उत्तर देते हुए कहा कि मैं और मेरे हिंदू साथी सरकार से ओपनिवेशिक स्वराज्य देने की बात पूछने नहीं आए हैं । हम तो पुरानी मैत्री के कारण वस्तु-स्थिति का परिचय कराने आए हैं, ताकि सरकार को भावी कार्य-क्रम स्थिर करने में सहायता मिले । भारत के आबाल- वृद्ध नर-नारी अब औपनिवेशिक स्वराज्य अथवा पूर्ण स्वराज्य के विना संतुष्ट नहीं हो सकते । भारतीय आज तक अपमान और अत्याचार सहते रहे हैं, परंतु अब उन्हें कोई भी शक्ति दबा नहीं सकती। ब्रिटिश और भारतीयों में यहाँ भेद-भाव खड़ा होने का प्रारंभ है । अपने मित्रों के धिक्कारने और देश- द्रोही कहलाने पर भी, एक शताब्दि से भी ऊपर का ब्रिटिश का भारत के साथ संबंध होने के कारण, मैं लंदन आया हूँ। यदि सरकार किसी भय अथवा संदेह के कारण औपनिवेशिक स्वराज्य भारत को नहीं दे सकती, तो भारत उत्तरदायित्व पूर्ण शासन से कम पर संतुष्ट ही नहीं हो सकता । मैं तो वैसा ही