१८० गोल-सभा पियन दल का यह विचार है कि वहाँ जन-संख्या के आधार पर चुनाव की विधि ही ठीक होगी। शिक्षा, संपत्ति आदि के विचार से जो विशेषाधिकार किन्हीं को मिलें, वे निर्वाचन-केंद्र पर निर्भर हों। पंजाब में सरकारी अफसरों ने जाँच करने के बाद यह तय किया है कि वहां की प्रांतीय सभा में मुसलमान सदस्यों की संख्या हिंदू और सिख सदस्यों की एकत्र संख्या से दो अधिक हो, और पूरी सभा की सदस्य-संख्या का ४६ प्रतिशत हो । यद्यपि इस सिफारिश से स्थानीय किसी दल को संतोष नहीं हुआ, फिर भी यह विचारणीय है। यद्यपि हम सामयिक स्थिति को देखते हुए जातीय चुनाव के पक्ष में सिफारिश करते हैं, पर हम पार्लियामेंट के ऐक्ट में ऐसी सुविधा भी बनवाना चाहते हैं, जिससे भविष्य में राष्ट्रीय और सामूहिक एकता के मार्ग में अब के मज- हबी चुनाव स्थायी बाधा न डाल सकें। इसके उपरांत पत्र में सिख आदि अन्य अल्प-संख्यक जातियों के अधिकारों के संबंध में विचार किया गया है। बड़े जमींदारों के विशेषाधिकारों को बनाए रखने की सिफारिश की गई है। प्रांतीय सरकारी कार्यकर्ताओं ( Executive) के अधि- कारों, गवर्नरों के विशेषाधिकारों आदि पर विचार प्रकट किए गए हैं। गवर्नर स्वेच्छाचारी आर्डिनेंस बना सकें, पर ऐसा करने में उन्हें गवर्नर जनरल की राय लेनी पड़े, यह भारत सरकार की राय है। हाईकोर्ट के जजों की स्थायी नियुक्ति सम्राट् करें, और दूसरे
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