पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/२४९

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RASHAK सोलहवां अध्याय २३१ लोक-मत को देखकर विद्यमान कठिनाइयों को हल किया जा सके। सरकार उन उपायों पर विचार करेगी, जिनसे आपके और हमारे सहयोग जारी रहें, ताकि शासन-विधान फलीभूत हो सके । यदि इसी समय में वाइसराय की अपील पर सत्या- ग्रह करनेवालों ने या अन्यों ने ध्यान दिया, तो उनकी भी शासन विधान-निर्माण में सहायता ली जायगी।" अंत में प्रधान मंत्री ने डेलीगेटों को धन्यवाद दिया, और यह विश्वास दिलाया कि सरकार ऐसा यत्न करेगी कि शासन- विधान के संबंध में इतना एकमत तैयार करले कि वह पार्लिया- मेंट में स्वीकार किया जा सके। प्रधान मंत्री की स्पीच जब तक होती रही, लोग उसे मनोयोग से सुनते रहे । बीच में कई बार करतल ध्वनि हुई । घोषणा के बाद महाराज बड़ौदा ने कहा- स्कीम की घोषणा की अपेक्षा इसका क्रिया में आना अधिक संतोषप्रद होगा।" सर ए० पी० पेट्रो ने कहा-"प्रधान मंत्री की घोषणा ब्रिटिश सरकार के उस हृदय-परिवर्तन की सूचक है, जिसके लिये महात्मा गांधी उत्सुक थे। सर प्रभाशंकर पट्टनी ने कहा--"मैं इस घोषणा से प्रसन्न हूँ।" डॉक्टर मुंजे ने कहा मैं इस घोषणा से संतुष्ट हूँ।" मि० तांबे ने कहा-"इस घोषणा के पीछे बहुत संभाव- नाएँ हैं।" सर तेजबहादुर सप्रू ने यह भाषण किया था-