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पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/४६

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गोल सभा अंत में महात्माजी का मूल-प्रस्ताव हो स्वीकार कर लिया गया। ध्वजारोपण-२६ तारीख को प्रातःकाल १० बजे सुनहरी धूप में जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रीय पताका अपने हाथों से फहराई । पताका की उँचाई दो सौ फीट थी। उस पर बिजली के लैंप जड़े हुए थे, जिससे रात के समय खूब जगमगाहट रहती थी। पोने दस बजे तक १ लाख से अधिक आदमी इकट्ठे हो गए । कुछ लोग पेड़ों पर भी चढ़ गए थे। १० बजे सबसे प्रथम श्रीनिवास ऐयंगर, पं० मोतीलाल नेहरू, डॉ० अंसारी आदि पहुंच गए थे। इसके बाद पं० जवाहरलाल नेहरू पहुँचे । महिलाओं ने "वंदेमातरम्" का गीत गाया। फोटो- ग्राफरों ने फोटो लिए | स्वयंसेवकों के जेनरल कमांडर ने फौजी सलाम किया। इसके बाद पताका-संगीत हुआ । इस अवसर पर पं. जवाहरलाल नेहरू ने जो छोटा-सा भाषण दिया, वह इस प्रकार था- "अाज जिस झंडे के नीचे तुम खड़े हो, वह किसी धर्म और संप्रदाय का नहीं, सारे देश का है । इसके नीचे खड़े हुए हम लोग हिंदू या मुसलमान नहीं, भारतीय हैं । याद रक्खो, जब तक भारतीयों में एक भी बच्चा जीवित है, यह पताका अप- मानित या पद-दलित न होनी चाहिए।" खुला अधिवेशन-ठीक ५ बजे प्रारंभ हुआ । हाजिरी १५ हजार से अधिक थी । ५ बजे वालंटियरों ने बिगुल बजा- कर सभापति के आगमन की सूचना दी। सबसे आगे वालं.