पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/४८

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३८ गोल-सभा ब्रिटिश-शक्ति हम पर आज शासन कर रही है, वह यहाँ व्यापार के लिये आई थी। उस समय यह देश बहुत उच्च था । यहाँ का वस्त्र और जवाहरात तथा शिल्प विख्यात था। परंतु आज हमारा वह वैभव रेल और जहाजों में भरकर लूट लिया गया है। महायुद्ध के बाद तो हम विदेशी व्यापार के गुलाम बन गए हैं । "लॉर्ड सेल्सबरी ने कहा था-हमें भारत का खन पीना है, और इस समय हमें अपना बर्थी उस स्थान पर मारना चाहिए, जहाँ ज्यादा खून जमा हो । परंतु हमें ग्रामीणों से कुछ नहीं मिल सकता; क्योंकि वे तो रक्त के अभाव से आप ही मर रहे हैं। भारत के ग्रामों की दशा का यह सच्चा रूप है। इसे हम तब तक नहीं सुधार सकते, जब तक कि देश की अथ-समस्या हमारे हाथ में न हो। के बाद धूर्त ब्रिटेन के आश्वासन और लॉयड जॉर्ज से हमें बड़ी-बड़ी आशाएँ थीं। मांटेग्यु-चेम्सफोर्ड-स्कीम भी सिर्फ लिफाफे-बाजी थी । इससे देश में चैतन्यता आई थी, जिसे रौलट-बिल से, घोर विरोध होने पर भी, दबाया गया, जिसके सम्मुख महात्मा गांधी ने सत्याग्रह-युद्ध की घोषणा की थी, और हिंदू-मुसलमान एक होकर उनके मंडे के नीचे आ खड़े हुए थे। उस समय नौकरशाही काँप उठी थी। "इस उत्थान को कुचलने के लिये डायर और ओडायर ने निरीह जनता पर गोली चलाई । माताओं को बेपर्द किया गया। जलियानवाला बारा में हमारी कड़ी परीक्षा हुई। अंत में हमने