पृष्ठ:गोस्वामी तुलसीदास.djvu/३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

संशोधित संस्करण

का

वक्तव्य


इस पुस्तक के प्रथम संस्करण में गोस्वामीजी का जीवन-चरित भी गौण रूप में सम्मिलित था। पर जीवनवृत्त-संग्रह इस पुस्तक का उद्देश्य न होने से इस संस्करण से 'जीवन-खंड' निकाल दिया गया है। अब पुस्तक अपने विशुद्ध आलोचनात्मक रूप में पाठकों के सामने रखी जाती है। जैसा कि प्रथम संस्करण के वक्तव्य में निवेदन किया जा चुका है, इसे गोस्वामीजी के महत्त्व के साक्षात्कार और उनकी विशेषताओं के प्रदर्शन का लघु प्रयत्न मात्र समझना चाहिए। इस प्रयत्न में कहाँ तक सफलता हुई है, इसका निर्णय तो गोस्वामीजी की कृतियों से परिचित और प्रभावित सहृदय-समाज ही कर सकता है।

तुलसी की भक्ति-पद्धति और काव्य-पद्धति को थोड़ा और स्पष्ट करने के लिये कुछ प्रकरण और प्रसंग बढ़ा दिए गए हैं। आशा है, इस वर्तमान रूप यह पुस्तक पाठकों की रुचि के अनुकूल होगी।

रामनवमी
रामचंद्र शुक्ल
संवत् १९९०