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पृष्ठ:गो-दान.djvu/१५६

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गो-दान
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उग्र होकर बोला––अगर तुम हाथ में गंगाजली लेकर कह दो कि मैंने रुपए दे दिये, तो सबर कर लूं।

'कहने का मन तो चाहता है, मरता क्या न करता; लेकिन कहूँगा नहीं।'

'तुम कह ही नहीं सकते।'

'हाँ भैया, मैं नहीं कह सकता। हँसी कर रहा था।'

एक क्षण तक वह दुविधे में पड़ा रहा। फिर बोला––तुम मुझसे इतना बैर क्यों पाल रहे हो भोला भाई! झुनिया मेरे घर में आ गयी, तो मुझे कौन-सा सरग मिल गया। लड़का अलग हाथ से गया, दो सौ रुपया डाँड़ अलग भरना पड़ा। मैं तो कहीं का न रहा। और अब तुम भी मेरी जड़ खोद रहे हो। भगवान् जानते हैं, मुझे बिलकुल न मालूम था कि लौंडा क्या कर रहा है। मैं तो समझता था, गाना सुनने जाता होगा। मुझे तो उस दिन पता चला, जब आधी रात को झुनिया घर में आ गयी। उस बखत मैं घर में न रखता, तो सोचो, कहाँ जाती? किसकी होकर रहती?

झुनिया वरौठे के द्वार पर छिपी खड़ी यह बातें सुन रही थी। बाप को अब वह बाप नहीं, शत्रु समझती थी। डरी, कहीं होरी बैलों को दे न दें। जाकर रूपा से बोली––अम्माँ को जल्दी से बुला ला। कहना, बड़ा काम है, विलम न करो।

धनिया खेत में गोबर फेंकने गयी थी, बहू का सन्देस सुना, तो आकर बोली––काहे को बुलाया बहू, मैं तो घबड़ा गयी।

'काका को तुमने देखा है न?'

'हाँ देखा, कसाई की तरह द्वार पर बैठा हुआ है। मैं तो बोली भी नहीं।'

'हमारे दोनों बैल माँग रहे हैं, दादा से।'

धनिया के पेट की आँतें भीतर सिमट गयीं।

'दोनों बैल माँग रहे हैं?'

'हाँ, कहते हैं या तो हमारे रुपए दो, या हम दोनों बैल खोल ले जायेंगे।'

'तेरे दादा ने क्या कहा?'

'उन्होंने कहा, तुम्हारा धरम कहता हो, तो खोल ले जाओ।'

'तो खोल ले जाय; लेकिन इसी द्वार पर आकर भीख न माँगे, तो मेरे नाम पर थूक देना। हमारे लहू से उसकी छाती जुड़ाती हो, तो जुड़ा ले।'

वह इसी तैश में बाहर आकर होरी से बोली––महतो दोनों बैल मांग रहे हैं, तो दे क्यों नहीं देते? उनका पेट भरे, हमारे भगवान मालिक हैं। हमारे हाथ तो नहीं काट लेंगे? अब तक अपनी मजूरी करते थे, अब दूसरों की मजूरी करेंगे। भगवान की मरजी होगी, तो फिर बैल-बधिये हो जायँगे, और मजूरी ही करते रहे, तो कौन बुराई है। बूड़े-सूखे और पोत-लगान का बोझ तो न रहेगा। मैं न जानती थी, यह हमारे बैरी हैं, नहीं गाय लेकर अपने सिर पर विपत्ति क्यों लेती! उस निगोड़ी का पौरा जिस दिन से आया, घर तहस-नहस हो गया।

भोला ने अब तक जिस शस्त्र को छिपा रखा था, अब उसे निकालने का अवसर आ