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पृष्ठ:गो-दान.djvu/२१३

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गोदान
 

उसने गोबर की कमर में हाथ लगाया। गोबर खड़ा होकर बोला--अभी क्या कमाया;हाँ,अब तुम चलोगी,तो कमाऊँगा। साल-भर तो सहर का रंग-ढंग पहचानने ही में लग गया।

'अम्माँ जाने देंगी,तब तो?'

'अम्माँ क्यों न जाने देंगी। उनसे मतलब?'

'वाह! मैं उनकी राजी बिना न जाऊँगी। तुम तो छोड़कर चलते बने। और मेरा कौन था यहाँ ? वह अगर घर में न घुसने देतीं तो मैं कहाँ जाती? जब तक जीऊँगी, उनका जस गाऊँगी और तुम भी क्या परदेश ही करते रहोगे?'

और यहाँ बैठकर क्या करूँगा। कमाओ और मरो, इसके सिवा यहाँ और क्या रखा है? थोड़ी-सी अकल हो और आदमी काम करने से न डरे,तो वहाँ भूखों नहीं मर सकता। यहाँ तो अकल कुछ काम ही नहीं करती। दादा क्यों मुझसे मुँह फुलाए हुए हैं?'

'अपने भाग बखानो कि मुंँह फुलाकर छोड़ देते हैं। तुमने उपद्रव तो इतना बड़ा किया था कि उस क्रोध में पा जाते, तो मुंँह लाल कर देते।'

'तो तुम्हें भी खुब गालियाँ देते होंगे?'

'कभी नहीं,भूलकर भी नहीं। अम्माँ तो पहले बिगड़ी थीं;लेकिन दादा ने तो कभी कुछ नहीं कहा,जब बुलाते हैं,बड़े प्यार से। मेरा सिर भी दुखता है,तो बेचैन हो जाते हैं। अपने बाप को देखते तो मैं इन्हें देवता समझती हूँ। अम्माँ को समझाया करते हैं, बहू को कुछ न कहना। तुम्हारे ऊपर सैकड़ों बार बिगड़ चुके हैं कि इसे घर में बैठाकर आप न जाने कहाँ निकल गया। आज-कल पैसे-पैसे की तंगी है। ऊख के रुपाए बाहर ही बाहर उड़ गये। अब तो मजूरी करनी पड़ती है। आज बेचारे खेत में बेहोश हो गये। रोना-पीटना मच गया। तब से पड़े हैं।'

मुँह-हाथ धोकर और खूब वाल बनाकर गोबर गाँव का दिग्विजय करने निकला। दोनों चाचाओं के घर जाकर राम-राम कर आया। फिर और मित्रों से मिला। गांँव में कोई विशेष परिवर्तन न था। हाँ,पटेश्वरी की नयी बैठक बन गयी थी और झिंगुरीसिंह ने दरवाजे पर नया कुआँ खुदवा लिया था। गोबर के मन में विद्रोह और भी ताल ठोंकने लगा। जिससे मिला उसने उसका आदर किया,और युवकों ने तो उसे अपना हीरो बना लिया और उसके साथ लखनऊ जाने को तैयार हो गये। साल ही भर में वह क्या से क्या हो गया था।

सहसा झिंगुरीसिंह अपने कुएँ पर नहाते हुए मिल गये। गोबर निकला;मगर न सलाम किया,न बोला। वह ठाकुर को दिखा देना चाहता था,मैं तुम्हें कुछ नहीं समझता।

झिंगुरीसिंह ने खुद ही पूछा--कब आय गोबर,मजे में तो रहे? कहीं नौकर थे लखनऊ में?

गोबर ने हेकड़ी के साथ कहा--लखनऊ गुलामी करने नहीं गया था। नौकरी है तो गुलामी। मैं व्यापार करता था।