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गोदान
 

झुनिया ने कटाक्ष करके कहा-तो यह कहो तुम भी मतलब के यार हो।

गोबर की धमनियों का रक्त प्रबल हो उठा। बोला-भूखा आदमी अगर हाथ फैलाये तो उसे क्षमा कर देना चाहिए।

झुनिया और गहरे पानी में उतरी-भिक्षुक जब तक दस द्वारे न जाय,उसका पेट कैमे भरेगा। मैं ऐसे भिक्षुकों को मुंह नहीं लगाती। ऐसे तो गली-गली मिलते हैं। फिर भिक्षुक देता क्या है,असीस!असीसों से तो किसी का पेट नहीं भरता।

मन्द-बुद्धि गोबर झुनिया का आशय न समझ सका। झुनिया छोटी-सी थी तभी से ग्राहकों के घर दूध लेकर जाया करती थी। ससुराल में उसे ग्राहकों के घर दूध पहुँचाना पड़ता था। आजकल भी दही बेचने का भार उसी पर था। उसे तरह-तरह के मनुष्यों से माबिका पड़ चुका था। दो-चार रुपए उसके हाथ लग जाते थे,घड़ी-भर के लिए मनोरंजन भी हो जाता था;मगर यह आनन्द जैसे मॅगनी की चीज़ हो। उसमें टिकाव न था,समर्पण न था,अधिकार न था। वह ऐसा प्रेम चाहती थी,जिसके लिए वह जिये और मरे,जिस पर वह अपने को समर्पित कर दे। वह केवल जुगनू की चमक नहीं,दीपक का स्थायी प्रकाश चाहती थी। वह एक गृहस्थ की बालिका थी,जिसके गृहिणीत्व को रसिकों की लगावटबाजियों ने कुचल नहीं पाया था।

गोबर ने कामना से उद्दीप्त मुख से कहा-भिक्षुक को एक ही द्वार पर भरपेट मिल जाय,तो क्यों द्वार-द्वार घूमे?

झुनिया ने सदय भाव से उसकी ओर ताका। कितना भोला है,कुछ समझता ही नहीं।

'भिक्षुक को एक द्वार पर भरपेट कहाँ मिलता है। उसे तो चुटकी ही मिलेगी। सर्बस तो तभी पाओगे,जब अपना सर्वस दोगे।'

'मेरे पास क्या है झुनिया?'

'तुम्हारे पास कुछ नहीं है? मैं तो समझती हूँ,मेरे लिए तुम्हारे पास जो कुछ है,वह बड़े-बड़े लखपतियों के पास नहीं है। तुम मुझसे भीख न मांगकर मुझे मोल ले सकते हो।'

गोबर उसे चकित नेत्रों से देखने लगा।

झुनिया ने फिर कहा-और जानते हो,दाम क्या देना होगा? मेरा होकर रहना पड़ेगा। फिर किसी के सामने हाथ फैलाये देखुंगी,तो घर से निकाल दूंगी।

गोबर को जैसे अँधेरे में टटोलते हुए इच्छित वस्तु मिल गयी। एक विचित्र भयमिश्रित आनन्द से उसका रोम-रोम पुलकित हो उठा। लेकिन यह कैसे होगा? झुनिया को रख ले,तो रखेली को लेकर घर में रहेगा कैसे। बिरादरी का झंझट जो है। सारा गाँव काँव-काँव करने लगेगा। सभी दुसमन हो जायेंगे। अम्माँ तो इसे घर में घुसने भी न देगी। लेकिन जब स्त्री होकर यह नहीं डरती, तो पुरुष होकर वह क्यों डरे। बहुत होगा,लोग उसे अलग कर देंगे। वह अलग ही रहेगा। झुनिया जैसी औरत गाँव में दूसरी कौन है?कितनी समझदारी की बातें करती है। क्या जानती नहीं कि मैं उसके जोग नहीं हूँ। फिर भी मुझसे प्रेम करती है। मेरी होने को राजी है।गाँववाले निकाल