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गोदान
 

कि सहसा एक अफ़गान आकर खड़ा हो गया। गोरा रंग, बड़ी-बड़ी मूंछे, ऊँचा क़द, चौड़ा सीना, आँखों में निर्भयता का उन्माद भरा हुआ, ढीला नीचा कुरता, पैरों में शलवार, ज़री के काम की सदरी, सिर पर पगड़ी और कुलाह, कन्धे में चमड़े का बेग लटकाये, कन्धे पर बन्दूक रखे और कमर में तलवार बाँधे न जाने किधर से आ खड़ा हो गया और गरजकर बोला––खबरदार! कोई यहाँ से मत जाओ। अमारा साथ का आदमी पर डाका पड़ा है। यहाँ का जो सरदार है वह अमारा आदमी को लूट लिया है, उसका माल तुमको देना होगा! एक-एक कौड़ी देना होगा। कहाँ है सरदार, उसको बुलाओ।

राय साहब ने सामने आकर क्रोध-भरे स्वर में कहा––'कैसी लूट! कैसा डाका? यह तुम लोगों का काम है। यहाँ कोई किसी को नहीं लूटता। साफ़-साफ़ कहो, क्या मामला है?'

अफ़गान ने आँखें निकाली और बन्दूक का कुन्दा ज़मीन पर पटककर बोला अमसे पूछता है कैसा लूट, कैसा डाका? तुम लूटता है, तुम्हारा आदमी लूटता है। अम यहाँ की कोठी का मालिक है। अमारी कोठी में पचीस जवान है। अमारा आदमी रुपए तहसील कर लाता था। एक हज़ार। वह तुम लूट लिया, और कहता है कैसा डाका? अम बतलायेगा कैसा डाका होता है। अमारा पचीसों जवान अवी आता है। अम तुम्हारा गाँव लूट लेगा। कोई साला कुछ नयीं कर सकता, कुछ नयीं कर सकता।

खन्ना ने अफ़गान के तेवर देखे तो चुपके से उठे कि निकल जायें। सरदार ने ज़ोर से डाँटा-काँ जाता तुम? कोई कई नयीं जा सकता। नयी अम सबको क़तल कर देगा। अबी फैर कर देगा। अमारा तुम कुछ नयीं कर सकता। अम तुम्हारा पुलिस से नयीं डरता। पुलिस का आदगी अमारा सकल देखकर भागता है। अमारा अपना कांसल है, अम उसको खत लिखकर लाट साहब के पास जा सकता है। अम यां से किसी को नयीं जाने देगा। तुम अमारा एक हजार रुपया लूट लिया। अमारा रुपया नयी देगा, तो अम किसी को जिन्दा नहीं छोड़ेगा। तुम सब आदमी दूसरों के माल को लूट करता है और याँ माशूक के साथ शराब पीता है।

मिस मालती उसकी आँख बचाकर कमरे से निकलने लगीं कि वह वाज़ की तरह टूटकर उनके सामने आ खड़ा हुआ और बोला––तुम इन बदमाशों से अमारा माल दिलवाये, नयीं अम तुमको उठा ले जायगा और अपनी कोठी में जशन मनायेगा। तुम्हारा हुस्न पर अम आशिक़ हो गया। या तो अमको एक हजार अबी-अबी दे दे या तुमको अमारे साथ चलना पड़ेगा। तुमको अम नहीं छोड़ेगा। अम तुम्हारा आशिक़ हो गया है, अमारा दिल और जिगर फटा जाता है। अमारा इस जगह पचीस जवान है। इस जिला में हमारा पाँच सौ जवान काम करता है। अम अपने क़बीले का खान है। अमारे क़बीला में दस हज़ार सिपाही हैं। अम काबुल के अमीर से लड़ सकता है। अंग्रेज़ सरकार अमको बीस हज़ार सालाना खिराज देता है। अगर तुम हमारा रुपया नयीं देगा, तो अम गाँव