पृष्ठ:चंदायन.djvu/४०५

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किमी समय शिरधर नामक एक व्यक्ति रहता था, जिसे पार्वतीने नपुसक हो जानेका शाप दे दिया था। शाप देनेके वारणको वेगलरने बताना उचित न समझकर नहीं दिया है। पार्वतीका शाप पानेसे पूर्व बचपनमें ही उसका विवाह हो गया था । यथा समय जब उसकी पत्नी चदैन युवती हुई तो उसका गौना हुआ और शिवधर अपनी पत्नीको अपने घर लिया गया। शिवधरवे नपुसक्त्वके कारण उसकी पत्नी उससे असन्तुष्ट रहने लगी। उसने अपने गाँवरे ही एक व्यक्ति लोपैसे सम्बन्ध स्थापित कर लिया और उसने साथ घरसे भाग निवरी। शिवधरने उसका पीछा किया और उहे जा पकडा । ऐकिन उसकी पत्नीने उपहास करते हुए रौटनेसे इन वार कर दिया । बोरीय मै तुम्हारे घर थी तब तो तुमने परवाह न की और अन मेरे पीछे बेकार भाग रहे हो। लेकिन शिवधरने उसकी एक न सुनी। पल्त शिवधर और लोरी दोनोम घोर युद्ध हुआ और शिवधर हार गया। मेरी और चन्दैन आगे चले। बडागाँवये निकर, जहाँ एक मुण्डहीन मूर्ति पटी है, महापतिमा नामय जुआरियोंके सरदारसे उनकी भेंट हुई। यह जुआपार गाँवका रहनेवाला था। लोरीने उसके साथ जुआ सेल्नेको इच्छा प्रकट की और दोनों खेल्ने बैठ गये । जुएम नारीके पास जो कुछ था चह तो हार ही गया, साथ ही चन्दैनको भी हार गया । जब महापतिया च देनको पकडने बढा तो चन्दैन बोली-मानती हूँ कि मैं दॉवपर लगायी गयी थी और मैं हारी गयी हूँ, किन्तु मेरे तनपर जो आभूपण हैं, वे दाँवपर नहीं लगाये गये थे। अत उन आभूषणों के साथ अभी एक दाँय और खेलो। जुआडी खेल्ने बैठ गया। चन्दैन अपने प्रेमी लोरीचे पीछे और जुआरोंये सामने जुआ देखने के बहाने जा सड़ी हुई । रोल देसनेमें लीन होनेका बहाना करते हुए उसने अपनेको इस ढगसे विवस्त कर दिया मानों वह अनजाने अवस्मात् हो गया हो। जुआरी उसके रूप सौन्दर्यपर इस प्रकार मुग्ध हुआ कि उसकी ओरसे उसकी आयें हटती ही न थी। फ्लत यह हारने लगा। लोरीने न देवल अपना सब हारा हुआ धन जीत लिया परन् उसरे पास और जो कुछ भी था, बद भी ले लिया। अन्तमें हार मानकर जुआरीने सेल्ना रद कर दिया । तब चन्दैनने सामने आवर लोरीसे अपनी कारवाइ कह सुनाई और बताया कि किस तरह वह उसे रचाई आँखों से देख रहा था। अन्तम बोली कि इस दुष्टको मार हो ताकि यह होंग न हाँक सौ कि उसने मुझे विवस्त्र देररा है। लोरी बडा बली था । उसकी तलवार दो मनकी थी और उसका नाम या विजाघर | एक ही झटवे में उसने जुआरीका सर अलग कर दिया, जो सुआपारमें जा गिरा और घड, नहाँ वह बैठा था, वही घराशायी हो गया। उसे यहीं उसके शरीर दोनों अग पत्थर बने पड़े हैं। ___ लोरी बुधकिटाई नामक ग्वारेमा लडका था। उसमा विवाह अगोरी गाँव थी, जिसे अब रतौली कहते है और वह हजारीबागसे बिहार जानेपाली सहकपर स्थित