पृष्ठ:चंदायन.djvu/९

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अनुशीलन


हिन्दी साहित्य का इतिहास प्रस्तुत करने का कार्य फ्रेच विद्वान गार्सा द तासी और अँगरेज विद्वान प्रियर्सन ने आरम्भ किया और उसका स्वरूप रामचन्द्र शुक्ल ने अपने हिन्दी साहित्य का इतिहास दाग स्थिर दिया। किन्तु इन तीनों ही विद्वानी की पुस्तकों में मौलाना दाऊद अथवा उनकी प्रति चन्दायनका कोई उल्लेख नहीं है। स्पष्ट है रामचन्द्र शुक्ल के समय तक उनके सम्बन्ध में कोई जानकारी उपलब्ध न थी!

मौलाना दाऊदका परिचय सर्व प्रथम १९२८ ई० (वि०सं०१९७०)में मिश्रबन्धु ने अपने मिश्रबन्धु-विनोद द्वारा दिया। उन्होंने अपने अन्य के आदि प्रकरण में बताया कि मुल्ला दाऊद अमीर खुसरो का समकालीन था। उसका कविता काल संवत् १३८५ के लगभग था। इसने नूरक और चन्दा की प्रेम कथा हिन्दी में रची। यह प्रन्थ हमारे देखने मे नहीं आया। मिश्रबन्धु की इस सूचना का आधार क्या था,यह उन्होंने नहीं बताया।

सात वर्ष पश्चात् हरिऔध का हिन्दी भाषा और उसके साहित्य का विकास प्रकाशित हुआ। उसमें दाऊद के सम्बन्ध में ये पक्तियाँ हैं-अमीर खुसरो का समकालीन एक और मुल्ला दाऊद नामक ब्रज -भाषा का कवि हुआ। कहा जाता है कि उसने नूरक एवं चन्दाकी प्रेमकथा नामक दो हिन्दी पद्य मन्थों की रचना की। किन्तु ये दोनों प्रन्थ अप्राप्यसे हैं। इसलिए इसकी रचना की भाषा के विषय में फुछ लिखना असम्भव है।' मिश्रबन्धु को तरह ही हरिऔध ने भी अपनी सूचना का आधार नहीं दिया है। उस समय जान पड़ता है हिन्दी में सन्दर्भ देने की परिपाटी नहीं थी। जो भी हो,उनके शब्दों से यह स्पष्ट झलकता है कि मिश्रवन्धु-के अतिरिक्त उनकी जानकारीका कोई अन्य साधन नहीं था। उन्होंने मिश्रबन्धु से भिन्न दो नयी पाते अवश्य कहीं-(१) दाउद ने नूरक और चन्दा नामक दो प्रन्यो की रचना की। (२) वे ब्रजभाषा के कवि थे। किन्तु ये दोनों ही बातें उनकी कल्पना-प्रस्तुत हैं,यह तनिक ध्यान देने से ही स्पष्ट हो जाता है। दाऊद के ब्रजभाषा के कवि होने की बात का सण्डन उनकी अपनी ही पत्तियों से हो जाता है। वे उन्हें ब्रजभाषा का कवि' कहते है पिर उनके हिन्दी पद्य अन्यों की बात करते हैं और अन्त में

१. मिश्वन्धु विनोद,प्रथम भाग, १० १९७१, पृ० २४९।

२. हिन्दी भाषा और उसके साहित्य का विकास, पटना, द्वितीय सस्करण, सं० १९९७, पृ० १४७