पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/१७९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
179
 

उसे देखा था और समझते थे कि वह भी हम लोगों की दुश्मन है। इस समय कमलिनी के साथ उसे देखकर कुमार को शक मालूम हुआ, क्योंकि इन्द्रजीतसिंह कमलिनी को दोस्त समझते थे और दोस्त के साथ दुश्मन का होना बेशक खटके की बात है।

कमलिनी जब सीढ़ी के पास पहुँची तो ऊपर रोशनी देखकर रुक गई। साथ ही कुमार ने पुकार कर कहा, "डरो मत, ऊपर चली आओ, मैं हूँ इन्द्रजीतसिंह!"

कमलिनी ने कुमार की आवाज पहचान ली और लाड़िली को साथ लिये ऊपर चली आई, मगर दोनों कुमारों और उनके ऐयारों को वहाँ देखकर ताज्जुब करने लगी।

कमलिनी––आप लोग यहाँ कैसे आये?

इन्द्रजीतसिंह––यही बात मैं तुमसे पूछने वाला था!

कमलिनी––मैं तो आपको छुड़ाने के लिए आई हूँ, मगर मालूम होता है कि मेरे आने के पहले ही, किसी ने पहुँचकर आप लोगों को छुड़ा दिया।

देवीसिंह––कोई दूसरा नहीं आया, दोनों कुमारों ने स्वयं अपनी-अपनी हथकड़ी तोड़ डाली, जंगलों के सींखचे खींचकर बाहर निकल आये और हम लोगों को भी कैद। से छुड़ाया, इसके बाद दीवार तोड़ कर हम लोग अभी थोड़ी देर हुई इधर आये हैं!

कमलिनी––(हँसकर) बहादुर हैं, यह न ऐसा करेंगे तो दूसरा कौन करेगा!

इन्द्रजीतसिंह––हम एक बात तुमसे और पूछना चाहते हैं।

कमलिनी––आपका मतलब मैं समझ गई। (लाड़िली की तरफ देखकर) शायद इसके बारे में आप कुछ पूछेंगे!

इन्द्रजीतसिंह––हाँ ठीक है, क्योंकि इन्हें हमने उसके पास बैठा देखा था, जिसके फरेब ने हमारी यह दशा की है, और लोगों की बातों से यह भी मालूम हुआ कि उसका नाम मायारानी है।

कमलिनी––बहुत दिनों तक साथ रहने पर भी आपको मेरा भेद कुछ भी मालूम नहीं हुआ, मगर इस समय मैं इतना कह देना उचित समझती हूँ कि यह मेरी छोटी बहन है और मायारानी बड़ी बहिन है। हम तीनों बहिनें हैं। लेकिन अनबन होने के कारण मैं उससे अलग हो गई और आज इसने भी उसका साथ छोड दिया। आज से पहले वह मेरी ही दुश्मन थी, मगर आज से इसकी भी जिसका नाम लाड़िली है, जान की प्यासी हो गयी, मगर इतना सुनने पर भी मैं समझती हूँ कि आप मुझे अपना दुश्मन न समझते होंगे।

इन्द्रजीतसिंह––नहीं-नहीं, कदापि नहीं। मैं तुम्हें अपना हमदर्द समझता हूँ, तुमने मेरे साथ बहुत-कुछ नेकी की है।

कमलिनी––आप लोगों को छुड़ाने के लिए तेजसिंह भी यहाँ आये थे, मगर गिरफ्तार हो गये!

इन्द्रजीतसिंह––क्या तेजसिंह भी गिरफ्तार हो गये? लेकिन वे उस कैदखाने में नहीं लाये गये जहाँ हम लोग थे।

कमलिनी––वह दूसरी जगह रखे गये थे। मैंने उन्हें भी कैद से छुड़ाया है, अब थोड़ी ही देर में आप उनसे मिलना चाहते हैं।