पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/१८

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कुमार––अगर सच जवाब देने का वादा करो तो पूछूँ, नहीं तो व्यर्थ मुँह क्यों दुखाऊँ।

कमलिनी––आपकी नजाकत तो औरतों से भी बढ़ गई। जरा सी बात कहने में मुँह दुखा जाता है, दम फूलने लगता है। खैर पूछिये, मैं वादा करती हूँ कि सच्चा जवाब दूँगी, अगर कहिए तो कागज पर लिख दूँ!

कुमार––(मुस्कुराकर) यह तो तुम वादा कर ही चुकी हो कि अपना हाल पूरा पूरा मुझसे कहोगी, मगर इस समय मैं तुमसे केवल इतना ही पूछता हूँ कि तुम्हारा कोई वली-वारिस भी है या नहीं? तुम्हारे व्यवहार से स्वतन्त्रता मालूम होती है और यह भी जाना जाता है कि तुम कुँआरी हो।

कमलिनी––यह सवाल जवाब देने योग्य है। (मुस्कराकर) परन्तु क्या किया जाय, वादा करके चुप रहना भी मुनासिब नहीं। वास्तव में मैं स्वतन्त्र हूँ। कुँआरी तो हूँ परन्तु शीघ्र ही मेरी शादी होने वाली है।

कुमार––कब और कहाँ?

कमलिनी––यह दूसरा सवाल है, इसका सच्चा जवाब देने के लिए मैंने वादा नहीं किया है, इसलिए आप इसका उत्तर न पा सकेंगे।

कुमार––अगर इसका भी जवाब दो, तो क्या कोई हर्ज है?

कमलिनी––हाँ हर्ज है, बल्कि नुकसान है।

कुमार चुप हो रहे और जिद करना मुनासिब न जाना। मगर यह सुनकर कि 'शीघ्र ही मेरी शादी होने वाली है' कुमार को रंज हुआ। क्यों रंज हुआ? इसमें कुमार की हानि ही क्या थी? क्या कुछ दूसरा इरादा था? नहीं, नहीं, कुमार यह नहीं चाहते थे कि हम ही इससे शादी करें, वे किशोरी के सच्चे प्रेमी थे, खूबसूरती के अतिरिक्त कमलिनी के अहसानों ने कुमार को ताबेदार बना लिया था और अभी उन्हें कमलिनी से बहुत-कुछ उम्मीद थी तथा यह भी सोचते थे कि ऐसी तरकीब निकल आवे जिससे इस अहसान का बदला चुक जाय। मगर इन बातों से कुमार के रंज होने का मतलब नहीं खुला। खैर, जो हो, पहले यह तो मालूम हो कि कमलिनी है कौन!

वे दोनों आदमी भी, जो माधवी को लाये थे, छत पर आ पहुँचे और हाथ जोड़ कर सामने बैठ गये। कमलिनी ने उनसे खुलासा हाल कहने के लिए कहा और उन दोनों में से एक ने इस तरह कहना सुरू किया।

दोनों––हम दोनों हुक्म के मुताबिक यहाँ से जाकर माधवी को खोजने लगे, मगर उसका पता गयाजी और राजगृह के इलाकों में कहीं भी न लगा। लाचार होकर रोहतासगढ़ किले के पास पहुँचे और पहाड़ी के चारों तरफ घूमने लगे। कभी-कभी रोहतासगढ़ की पहाड़ी के ऊपर भी जाते और घूम-घूमकर पता लगाते कि वहाँ क्या हो रहा है। एक दिन रोहतासगढ़ पहाड़ी के ऊपर घूमते-फिरते यकायक हम दोनों एक खोह के मुहाने पर जा पहुँचे और वहाँ कई आदमियों के धीरे-धीरे बातचीत करने की आवाज सुनकर एक झाड़ी में, जहाँ से उन लोगों की आवाज साफ सुनाई देती थी, छिपे रहे। अन्दाज से यह मालूम हुआ कि वे लोग कई आदमी हैं और उन्हीं के साथ एक औरत भी