तक कि किसी के मुँह से यह भी नहीं निकलता कि सब्र कर, हम लोग ऐयारी के फन में होशियार हैं, कोई-न-कोई काम अवश्य करेंगे।
ऊपर के बयानों को पढ़ कर पाठक समझ ही गये होंगे कि मायारानी की तरह उसकी सखी धनपत और उसके दोनों ऐयार विहारीसिंह तथा हरनामसिंहभी किसी भारी पाप के बोझ से दबे हुए हैं और ऊपर की घटनाओं ने उन तीनों की भी जान सुखा दी है। ये तीनों ही बदहोश और परेशान हो रहे हैं, इन तीनों को भी अपनी-अपनी फिक्र पड़ी है, और इस समय इन तीनों के अतिरिक्त कोई चौथा आदमी मायारानी के सामने नहीं है, फिर उसे कौन समझावे-बुझावे? इनके सिवाय कोई चौथा आदमी उसके भेदों को जानता भी नहीं और न वह किसी को अपना भेद बताने का साहस कर सकती है। मायारानी की उदासी से चारों तरफ उदासी फैली हुई है। लौंडियों, नौकरों और सिपाहियों को भी चिन्ता ने आकर घेर लिया और कोई भी नहीं जानता कि क्या हुआ या क्या होने वाला है।
बहुत देर तक चुप रहने के बाद बिहारीसिंह ने सिर उठाया और मायारानी की तरफ देखकर कहा––
बिहारीसिंह––एक तो वीरेन्द्रसिंह के ऐयार स्वयं धुरंधर हैं जिनका मुकाबला कोई कर नहीं सकता, दूसरे कमलिनी की मदद से उन लोगों का साहस और भी बढ़ गया है।
धनपत––इसमें कोई सन्देह नहीं कि आज-कल जो खराबी हो रही है वह सब कमलिनी ही की बदौलत है जिसका हम लोग कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते।
मायारानी––अफसोस, वह कम्बख्त इस तिलिस्मी बाग के अन्दर आकर अपना काम कर जाय और किसी को कानोंकान खबर न हो! हाय, न मालूम हम लोगों की क्या दुर्दशा होने वाली है! क्या करूँ, कहाँ भाग कर जाऊँ अपनी जान बचाने के लिए क्या उद्योग करूँ।
धनपत––अभी एक दम से हताश न हो जाना चाहिए बल्कि देखना चाहिए कि इस मुनादी का क्या असर रिआया के दिल पर होता है।
मायारानी––हाँ, मुझे जरा फिर से समझा के कह तो सही कि मुनादी वाले को क्या कह के पुकारने की आज्ञा मेरी तरफ से दी गई है? उस समय मैं आपे में बिल्कुल न थी इससे कुछ समझ में न आया।
धनपत––आपकी तरफ से मैंने दीवान साहब को हुक्म दिया जिसका बन्दोबस्त उन्होंने पूरा-पूरा किया। मेरे सामने ही उन्होंने चार.डुग्गी वालों को तलब किया और समझा कर कह दिया कि वे लोग शहर भर में पुकार कर इस बात की मुनादी कर दें कि "सरकारी ऐयारों को मालूम हुआ है कि वीरेन्द्रसिंह का एक ऐयार राजा गोपालसिंह की सूरत बनाकर शहर में आया है, जिन्हें बैकुण्ठ पधारे पाँच वर्ष के लगभग हो चुके हैं और रिआया को भड़काना चाहता है। जो कोई उस कम्बख्त का सिर काट कर लावेगा उसे एक लाख रुपया इनाम दिया जायगा।"
मायारानी––ठीक है, मगर देखना चाहिए इसका नतीजा क्या निकलता है।