पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/२०

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यहाँ से न टलेंगे। सवेरा हो गया बल्कि धीरे-धीरे तीन पहर दिन भी बीत गया। आखिर हम दोनों तहखाने में घुसने के इरादे से कब्रिस्तान में गये। वहाँ पहुँचकर हमारे साथी ने कहा, "आखिर हम लोग दिन-भर परेशान हो ही चुके हैं, अब शाम हो लेने दो, तो तहखाने में चलें।" मैंने भी यही मुनासिब समझा और हम दोनों आदमी वहाँ से लौटना ही चाहते थे कि तहखाने का दरवाजा खु‌ला और चमेली दिखाई पड़ी, हम दोनों को भी चमेली ने देखा और पहचाना, मगर उसको ठहरने या कुछ कहने का साहस न हुआ। वह कुछ परेशान मालूम होती थी और खुन से भरा हुआ एक छुरा उसके हाथ में था। हम दोनों ने भी उसको कुछ टोकना मुनासिब न समझा और यह विचार कर कि शायद कोई और भी इस तहखाने से निकले, एक कब्र की आड़ में छिपकर बीच वाली कब्र, अर्थात् तहखाने के दरवाजे की तरफ देखने लगे। चमेली हम लोगों को देखते-देखते भाग गयी और थोड़ी देर तक सन्नाटा रहा।

"थोड़ी देर बाद हम लोगों ने दूर से राजा वीरेन्द्रसिंह के ऐयार पण्डित बद्रीनाथ को आते देखा। वह तहखाने के दरवाजे पर पहुँचे ही थे कि अन्दर से तिलोत्तमा निकली और पण्डित बद्रीनाथ ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद ही एक बूढ़ा आदमी तहखाने से निकला और पण्डित बद्रीनाथ से बातें करने लगा। हम लोगों को कुछ-कुछ वे बातें सुनाई देती थीं। इतना मालूम हो गया कि तहखाने के अन्दर खून हुआ है और इन दोनों ने तिलोत्तमा को दोषी ठहराया है, मगर हम लोगों ने खून से भरा हुआ छुरा हाथ में लिए चमेली को देखा था, इसलिए विश्वास था कि अगर तहखाने में कोई खून हुआ है तो जरूर चमेली के ही हाथ से हुआ, तिलोत्तमा निर्दोष है।

"पण्डित बद्रीनाथ और वह बूढ़ा आदमी तिलोत्तमा को लेकर फिर तहखाने में घुस गये। हम लोगों ने भी वहाँ अटकना मनासिब न समझा और थोड़ी ही देर बाद हम लोग भी तहखाने में घुस गये तथा तहखाने की पचासों कोठरियों में घूमने और देखने लगे कि कहाँ क्या होता है। बद्रीनाथ थोड़ी ही देर बाद तहखाने के बाहर निकल गये और हम लोगों ने तिलोत्तमा को एक खम्भे से साथ बँधे हुए पाया। हम्माम वाली कोठरी में माधवी को पड़े हुए पाकर हम लोग बड़े खुश हुए और उसे उठाकर ले भागे, फिर न मालूम, पीछे क्या हुआ और किस पर क्या गुजरी[१]

कमलिनी––ताज्जुब नहीं कि वहाँ के दस्तूर के मुताबिक तिलोत्तमा की बलि दे दी गयी हो!

एक––जो भी हो।

इतने ही में नीचे से एक लौंडी दौड़ी हुई आयी और हाथ जोड़कर कमलिनी से बोली, "तारा आ गयी, तालाब के बाहर खड़ी है!"

तारा के आने की खबर सुनकर कमलिनी बहुत खुश हुई और खुशी के मारे


  1. यहाँ पर तो पाठक समझ ही होंगे कि तहखाने में एक बड़ी मूरत के सामने जिस औरत की बलि दी गई थी, वह माधवी की ऐयारा तिलोत्तमा थी और माधवी के लाश को ले भागने वाले ये ही दोनों कमलिनी के नौकर थे।

च॰ स॰-2