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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/१७४

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मोरी बनी हुई है। कारीगरों ने ये दोनों चीजें तालाब की सफाई के लिए बनाई हैं। बस इसी से तुम समझ सकते हो कि तालाब की सफाई कोई मुश्किल नहीं है। जब कुएँ से बेअन्दाज जल निकल कर तालाब को साफ करता हुआ दूसरी तरफ से निकल जाने लगेगा तो उतनी मिट्टी का बह जाना कुछ कठिन नहीं है जितनी दुश्मनों ने तालाब में भर दी हैं।

देवीसिंह―बेशक अगर ऐसा है तो तालाब की सफाई कुछ मुश्किल नहीं है।

तारा―(बारीक और कमजोर आवाज से) अफसोस, यह बात मुझे मालूम नहीं थी, नहीं तो तालाब का जल क्यों सूखता और मिट्टी भरने की नौबत क्यों आती!

कमलिनी―ठीक है, और इसी सबब से मैं मकान की बरबादी का इलजाम तुझ पर नहीं लगाती बल्कि अपने ऊपर लगाती हूँ इसलिए कि यह भेद मैंने तुझे क्यों न बता रखा था। असल तो यह है कि दुश्मनों के इस उद्योग का मुझे गुमान भी न था, खैर, जो होना था हो गया।

देवीसिंह―अच्छा, तो जिस तरकीब से आपने कहा है तालाब को साफ करके इन लोगों को उसी मकान में ले चलना चाहिए। बाकी रहा मकान के अन्दर का सामान, सो इसके लिए कोई चिन्ता नहीं, देखा जायेगा।

कमलिनी―हाँ, मैं भी यही उचित समझती हूँ, दो रोज में मकान और तालाब की दुरुस्ती हो जायेगी, तब तक इन लोगों को इसी जगह रखना चाहिए, यह जगह भी बड़ी हिफाजत की है, जिसको रास्ता मालूम न हो यहाँ कदापि नहीं आ सकता। देखिये चारो तरफ कैसे ऊँचे-ऊँचे पहाड़ हैं। कभी-कभी इन पहाड़ों के ऊपर से जाते हुए मुसाफिर दिखाई देते हैं मगर वे लोग यदि यहाँ आना चाहें तो नहीं आ सकते। जब तक मकान और तालाब की सफाई न हो जाये, तब तक वहाँ केवल आपका रहना काफी है। सफाई के सम्बन्ध में या और भी जिन-जिन बातों की आवश्यकता है, मैं आपको समझा दूँगी और फिर इसी जगह आकर इनके पास रहूँगी और इनका इलाज करूँगी।

देवीसिंह―आपका खयाल बहुत ठीक है, जो कुछ आप कहें, मैं करने के लिए तैयार हूँ।

कमलिनी―पहले किशोरी, कामिनी और तारा के खाने-पीने का बंदोबस्त करना चाहिए। (भैरोंसिंह से) इस रमणीक स्थान में तीतरों और बटेरों की कमी नहीं है।

भैरोंसिंह―और हमारे पास खाना बनाने का सफरी सामान भी है, मैं भी यही समझता हूँ कि इनके लिए तीतर का शोरबा बहुत लाभदायक होगा।

किशोर—(कमजोर आवाज से) नहीं, मैं शोरवा या मांस न खाऊँगी, औरतों के लिए यह...

देवीसिंह―(हुकूमत के ढंग पर, मगर वह हुकूमत का ढंग ठीक वैसा ही था जैसा बड़े लोग छोटों पर कर सकते हैं) नहीं, बीमारी की अवस्था में इसका खयाल नहीं हो सकता है, तुम इसे दवा समझ के चुप रहो।

बेचारी किशोरी ने इस बात का कुछ भी जवाब नहीं दिया और चुप ही रही। भैरोंसिंह उसी समय उठ खड़ा हुआ और तीतर पकड़ने के लिए चला गया। उस धूर्त और चालाक ऐयार को इस काम के लिए तीर या गुलेल इत्यादि किसी विशेष सामान