पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/२३७

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तरफ इशारा करके) हम लोगों का साममा होने के पहले तक ये दोनों कम्बख्त सोचते होंगे कि जिन्न ने पहुँच कर काम में बाधा डाल दी, नहीं तो कमरे की जमीन खुद जाती और सुरंग की राह से तुम्हारी फौज यहाँ पहुँच कर किले को दखल कर लेती।

शेरअलीखाँ―बेशक ऐसा ही है और मैं भी इसका पक्ष लिए ही जाता अगर उन जिन्न ने, चाहे वह कोई भी हो, मुझे कह न दिया होता कि “यह मायारानी असल में तुम्हारे दोस्त की लड़की लक्ष्मीदेवी नहीं है बल्कि तुम्हारे दोस्त के दुश्मन हेलासिंह की लड़की मुन्दर है।”

तेजसिंह―मगर यह खयाल झूठा था क्योंकि तुम्हारी फौज के आने की खबर हम लोगों को मिल चुकी थी और हम लोग उसके रोकने का बन्दोबस्त कर चुके थे केवल इतना ही नहीं बल्कि तुम्हारी फौज के सेनापति महबूबखाँ को हमारे एक ऐयार ने गिरफ्तार करके पहर रात जाने के पहले ही इस किले में पहुँचा भी दिया था।

शेरअलीखाँ―(आश्चर्य से) तो क्या महबूबखाँ यहाँ कैद है?

तेजसिंह―बेशक!

शेरअलीखाँ―ओफ, आप लोगों के साथ दुश्मनी करना आप ही अपनी मौत को बुलाना है!

तेजसिंह―(मायारानी की तरफ देख के) बड़ी खुशी की बात है कि आज तुम अपनी दोनों नालायक बहिनों को भी इसी महल के अन्दर देखोगी।

मायारानी ने इसका जवाब कुछ भी न दिया और सिर झुका लिया मगर भीतर से उसका रंज और भी बढ़ गया क्योंकि कमलिनी तथा लाड़िली के यहाँ होने की खबर उसे बहुत बुरी मालूम हुई।

तेजसिंह सभी को लिए अपने कमरे में पहुँचे। शेरअलीखाँ के लिए एक मकान दिया गया, दारोगा को कैदखाने की अँधेरी कोठरी नसीब हुई, और कमलिनी की इच्छानुसार मायारानी कैदियों की सूरत में महल के अन्दर पहुँचाई गई!


9

दिन पहर भर से ज्यादा चढ़ चुका है। रोहतासगढ़ के महल में एक कोठरी के अन्दर जिसके दरवाजे में लोहे के सींखचे लगे हुए हैं मायारानी सिर नीचा किये हुए गर्म गर्म आँसुओं की बूँदों से अपने चेहरे की कालिख धोने का उद्योग कर रही है, मगर उसे इस काम में सफलता नहीं होती। दरवाजे के बाहर सोने की पीढ़ियों पर, जिन्हें बहुत सी लौंडियाँ घेरे हुई हैं कमलिनी, किशोरी, कामिनी, लाड़िली, लक्ष्मीदेवी और कमला बैठी हुई मायारानी पर बातों के अमोघ बाण चला रही हैं।

किशोरी—(कमलिनी से) तुम्हारी बहिन मायारानी है बड़ी खूबसूरत!

कमला—केवल खूबसूरत ही नहीं, भोली और शर्मीली भी हद से ज्यादा है। देखिये, सिर ही नहीं उठाती, बात करना तो दूसरी बात है।