पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/२९

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वाला भेद मालूम कर लिया?

लीला-जी हाँ, ऐसा ही है। मैंने ऐयारी से और भी बहुत से भेद मालूम कर लिये हैं जिनकी खबर आपको भी नहीं और जिनको इस समय कहना मैं उचित नहीं समझती, मगर शीघ्र ही उस विषय में मैं आपसे बातचीत करुँगी। इस समय तो मुझे केवल इतना ही कहना है कि किसी तरह अपनी जान बचाने की फिक्र कीजिये क्योंकि मुझे भूतनाथ की दोस्ती पर शक है।

मायारानी-क्या तू समझती है कि भूतनाथ ने मुझे धोखा दिया?

लीला-जी हाँ, बल्कि मैं तो यही समझती हूँ कि राजा गोपालसिंह मारे नहीं गये, बल्कि जीते हैं।

मायारानी-अगर ऐसा है तो बड़ा ही गजब हो जायगा। मगर इसका कोई सबूत भी है?

लीला-आज तो नहीं, मगर कल तक मैं इसका सबूत आप को दे सकूँगी।

मायारानी-अफसोस, अफसोस! मैं इस समय किले में जा कर अपने दीवान से राय लेने वाली थी मगर अब तो कुछ और ही सोचना पड़ा।

लीला-(उस डिब्बे की तरफ इशारा करके जो अभी तिलिस्मी तहखाने में से मायारानी लाई थी) पहले यह बताइये कि इस डिब्बे को आप किस नीयत से लाई हैं? यह हाथीदाँत का तमंचा कैसा है और ये गोलियां क्या काम दे सकती हैं?

मायारानी—ये गोलियाँ इसी तमंचे में रख कर चलाई जायँगी। इसके चलाने में किसी तरह की आवाज नहीं होती और गोली भी आध कोस तक जा सकती है। जब यह बोली किसी के बदन पर लगेगी या जमीन पर गिरेगी तो एक आवाज देकर फट जायगी और इसके अन्दर से बहुत-सा जहरीला धुआँ निकलेगा। वह धुआं जिसकी नाक में जायगा वह आदमी फौरन ही बेहोश हो जायगा। अगर हजार आदमियों की भीड़ आ रही हो तो उन सभी को बेहोश करने के लिए केवल दस-पांच गोलियाँ काफी हैं।

लीला-बेशक यह बहुत अच्छी चीज है और ऐसे समय में आपको बड़ा काम दे सकती है, मगर मैं समझती हूँ कि उस डिब्बे में पांच सौ से ज्यादा गोलियाँ न होंगी, इसके बाद कदाचित् वह ताम्रपत्र कुछ काम दे सके जो उस डिब्बे में है और जिसे आपने लोगों के सामने पढ़ा था।

मायारानी-वाह तुम बहुत समझदार हो। बेशक ऐसा ही है। इस ताम्रपत्र में उन गोलियों के बनाने की तरकीब लिखी है। इस तिलिस्म में ऐसी हजारों चीजें हैं मगर लाचार हूँ कि तिलिस्म का पूरा हाल मुझे मालूम नहीं है बल्कि चौथे दर्जे के विषय में तो मैं कुछ भी नहीं जानती। फिर भी जो कुछ मैं जानती हैं या जहाँ तक तिलिस्म में मैं जा सकती हूँ वहाँ ऐसी और भी कितनी ही चीजें हैं जो समय पर मेरे काम आ सकती हैं।

लीला-अब यही समय है कि उन चीजों को लेकर आप यहाँ से चल दीजिये क्योंकि इस बाग तथा आपके राज्य पर अब आफत आना ही चाहती है। मैंने सुना है कि


1.ताम्रपत्र-तांबे की तख्ती जिस पर कुछ लिखा या खुदा हुआ हो।