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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/२१

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वीरेन्द्रसिंह चुनार नहीं ले गये हैं, वह तो किशोरी, कामिनी, कमलिनी, लाड़िली और कमला के सहित किसी दूसरी ही जगह छिपाई गई हैं, मगर इसमें कोई सन्देह नहीं है कि कल शाम को गोपालसिंह उन सभी को जमानिया की तरफ ले जायेंगे और हम लोग उन्हें गोपालसिंह के सहित रास्ते ही में गिरफ्तार कर लेंगे।

माधवीदेवी––(ताज्जुब से) हाँ! क्या कल मैं दुष्टा किशोरी की नापाक सूरत देख सकूँगी! उस पर मुझे बड़ा ही रंज है, और कमलिनी ने तो मुझे कैद ही किया था।

मायारानी––बेशक, कल किशोरी और कमलिनी इत्यादि तुम्हारे कब्जे में होंगी और गोपालसिंह भी तुम्हारे काबू में होगा जो वीरेन्द्रसिंह और उनके लड़कों की बदौलत तुम्हारा सबसे बड़ा दुश्मन हो रहा है?

माधवीदेवी––निःसन्देह वह मेरा और तुम्हारा सबसे बड़ा दुश्मन है, तो क्या उसकी गिरफ्तारी का इन्तजाम हो चुका है?

मायारानी––हाँ, चौदह आना इन्तजाम हो चुका जो दो आना बाकी है सो वह भी हो जायगा।

माधवी––क्या बन्दोबस्त हुआ है? और किस समय तथा किस तरह वे लोग गिरफ्तार किये जायेंगे?

मायारानी––(इधर-उधर देखकर)बहुत-सी बातें ऐसी हैं जो मैं केवल तुम्हीं से कहूँगी कोई दूसरा उसके सुनने का अधिकारी नहीं है।

माधवी––बहुत अच्छा यह कोई बड़ी बात नहीं है।

इतना कहकर माधवी ने भीमसेन और कुबेरसिंह की तरफ देखा क्योंकि माधवी मायारानी और लीला के सिवाय केवल ये ही दो आदमी वहाँ मौजूद थे। भीमसेन ने कहा, "हम दोनों यहाँ से हट जाते हैं, तुम लोग बेधड़क बातें करो मगर (मायारानी से)मेरे एक सवाब का जवाब पहले मिलना चाहिए।"

मायारानी––वह क्या?

भीमसेन––आप अभी कह चुकी हैं कि कल किशोरी, कामिनी और लक्ष्मीदेवी वगैरह गिरफ्तार हो जायेंगी मगर मैंने सुना था कि राजा वीरेन्द्रसिंह के लश्कर में पहुँच कर मनोरमा ने किशोरी, कामिनी और कमला को जान से मार डाला, अब इस समय कोई और ही बात सुनने में आ रही है।

माधवी––हाँ, यह सवाल मैं भी करने वाली थी लेकिन बातों का सिलसिला दूसरी तरफ चला गया और मैं पूछना भूल गई।

मायारानी––हाँ, यह बात अच्छी तरह सुनने में आई थी और मुझे विश्वास भी हो गया था कि वास्तव में ऐसा ही हुआ है मगर आज यह बात खुद गोपालसिंह की लिखावट से खुल गई कि वास्तव में वे तीनों मारी नहीं गई, परन्तु मुझे यह मालूम नहीं है कि इस विषय में किस तरह की चालाकी खेली गई या मनोरमा ने जिन्हें मारा, वे कौन थीं।

भीमसेन––तो निश्चय है कि वे तीनों मारी नहीं गई?

मायारानी––बेशक वे तीनों जीती हैं। (गोपालसिंह वाली चिट्ठी दिखाकर) देखो