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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/२२०

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अब देखना चाहिए कि देवीसिंह का साथ छोड़ के भूतनाथ ने क्या किया। भूतनाथ भी वास्तव में एक विचित्र ऐयार है। जिस तरह वह ऐयारी के फन में बड़ा ही तेज और होशियार है और जिस काम के पीछे पड़ जाता है उसे कुछ-न-कुछ सीधा किये बिना नहीं रहता, उसी तरह वह निडर भी परले सिरे का कहा जा सकता है। यद्यपि आज-कल उसे इस बात की धुन चढ़ी हुई है कि उसके दो-एक पुराने ऐब, जिनके सबब से उसकी ऐयारी में धब्बा लगता है, छिपे रह जायें और वह किसी-न-किसी तरह राजा वीरेन्द्रसिंह का ऐयार बन जाय, मगर फिर भी ऐयारी के समय अपना काम निकालने की धुन में वह जान तक की परवाह नहीं करता। इस मौके पर भी उसने नकाबपोशों का पीछा करके जो कुछ किया उसके विषय में भी यही कहने की इच्छा होती है कि उसने अपनी जान को हथेली पर लेकर वह काम किया, जिसका हाल अब हम लिखते हैं।

संध्या होने में अभी घण्टे भर की देर है। उसी खोह के मुहाने पर जिसके अन्दर नकाबपोशों का मकान है या जिसमें भूतनाथ और देवीसिंह नकाबपोशों का पता लगाते हुए गए थे, हम दो नकाबपोशों को ढाल-तलवार लगाये, हाथ में हाथ दिये टहलते हुए देखते हैं। इन दोनों नकाबपोशों की पोशाक और नकाव साधारण थी और हाथ-पैर से भी ये दोनों दुबले-पतले और कमजोर मालूम पड़ते थे। हम नहीं कह सकते कि ये दोनों यहाँ कितनी देर से और किस फिक्र में घूम रहे हैं तथा आपस में किस ढंग की बातें कर रहे हैं, हाँ, इनके हाव-भाव से इस बात का पता जरूर लगता है कि ये दोनों किसी के आने का इन्तजार कर रहे हैं। ऐसे ही समय में अचानक एक आदमी इनके पास आकर खड़ा हो गया जो सुरत-शक्ल आदि से बिल्कुल उजड्ड और देहाती मालूम पड़ता था तथा जिसके हाथ-पैर तथा चेहरे पर गर्द रहने से यह भी जान पड़ता था कि यह कुछ दूर से सफर करता हुआ आ रहा है।

दोनों नकाबपोशों ने उसकी सूरत गौर से देखी और एक ने पूछा, "तू कौन है और क्या चाहता है?"

उस देहाती ने नकाबपोश की बात का कुछ जवाब न दिया और इशारे से बताया कि यहाँ से थोड़ी दूर पर कोई किसी को मार रहा है।

पुनः एक नकाबपोश ने पूछा, "क्या तू गूँगा है?"

इसका भी उसने कुछ जवाब न देकर फिर पहले की तरह इशारे से कुछ समझाया और अपने साथ आने के लिए कहा।

दोनों नकाबपोशों को विश्वास हो गया कि यह गूँगा-बहरा और साथ ही इसके उजड्ड तथा बेवकूफ भी है, अतः एक नकाबपोश ने अपने साथी से कहा, "इसके साथ जाकर देखो तो सही, क्या कहता है।"

दोनों नकाबपोश उसके साथ चलने के लिए तैयार हो गये और वह भी यह इशारा करके कि तुम्हें थोड़ी ही दूर चलना पड़ेगा, उन्हें अपने साथ लिए हुए पूरब की तरफ