पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/२४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
24
 

दीवान को तुरन्त लग जायेगी और वह अपनी फौज को दुरुस्त करके लड़ने के लिए तैयार हो जायेगा और हम लोगों को जमानिया के अन्दर कभी घुसने न देगा। कुँअर इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह भी जमानिया ही में तिलिस्म के अन्दर हैं, वे दोनों भी लड़ने-भिड़ने के लिए तैयार हो जायेंगे और उस समय हम लोग फिर लंडूरे ही रह जायेंगे, इतना बखेड़ा करने का कुछ फायदा न निकलेगा, न तो जमानिया की गद्दी मिलेगी और न गया का राज्य।

भीमसेन––तब आप ही कहिए कि क्या करना चाहिये।

मायारानी––(कुबेरसिंह से) इस वक्त आपके पास कितनी फौज है?

कुबेरसिंह––पाँच सौ।

मायारानी––(माधवी से) ऐसा करना चाहिए कि हम तुम भीमसेन और कुबेरसिंह चारों आदमी जमानिया वाले तिलिस्मी बाग के अन्दर जा घुसे और इन पाँच सौ आदमियों को इस तरह तिलिस्मी बाग के अन्दर ले चलें और छिपा रखें कि किसी को कानों-कान खबर न हो, क्योंकि उस बाग में इतने आदमियों को छिपा रखने की जगह है और वह बाग भी इस लायक है कि अगर मैं उसके अन्दर मौजूद रहूँ तो चाहे कैसा ही‌ जबरदस्त दुश्मन हो और चाहे कितनी ही ज्यादा फौज लेकर क्यों न चढ़ आवे मगर बाग के अन्दर किसी की नजर तक पहुँचने न दूँ।

माधवी––बेशक वह ऐसा ही सुनने आया है और तुम तो वहाँ की रानी ही ठहरी तथा तुम्हें वहाँ के सब भेद मालूम हैं, अच्छा तब?

मायारानी––जब किशोरी और कमलिनी इत्यादि को लेकर गोपालसिंह जमानिया जायेगा तो निःसन्देह सबको लिए उसी बाग में पहुँचेगा। बस उस समय हम लोग जो छिपे हुए रहेंगे, निकल आवेंगे और बात-की-बात में सभी को मार लेंगे। ऐसा से जमानिया में दखल भी बना रहेगा और इन्द्रजीतसिंह तथा आनन्दसिंह भी कब्जे में आ जायेंगे।

माधवी––(खुश होकर) बात तो बहुत ठीक है, मगर हम लोग इतने आदमियों को लेकर चुपचाप उस बाग के अन्दर किस तरह पहुँच सकते हैं?

मायारानी––इसका बन्दोबस्त इस तरह हो सकता है कि हम तुम भीमसेन और कुबेरसिंह एक साथ ही भेष बदलकर लीला के साथ जमानिया जायें और लीला दीवान साहब से कहे कि गोपालसिंह ने इन सभी अर्थात् हम लोगों को खास बाग के अन्दर पहुँचा देने का हुक्म दिया है। बस इतना कहकर हम लोगों को उस बाग के अन्दर पहुँचा दे क्योंकि दीवान इस नकली रामदीन की बात अँगूठी की बरकत से टाल न सकेगा और रामदीन पहले भी उस बाग के अन्दर आता-जाता था यह बात दीवान जानता है। जब हम लोग उस बाग के अन्दर जा पहुँचेंगे तो एक गुप्त रास्ते से कुल फौज को बाग के अन्दर ले लेंगे। इन फौजी सिपाहियों को उस सुरंग के मुहाने का पता बता दिया जायेगा जिसकी राह से हम सभी को खास बाग के अन्दर पहुँचावेंगे।

माधवी––यह बात तो तुमने बहुत ही अच्छी सोची!