पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/२१७

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भूतनाथ––दिलीपशाह, मुझे इस बात का दुःख है कि मेरी स्त्री का देहान्त हो गया और मेरे हाथ से एक बहुत ही बुरा काम हो गया

मैं––बेशक, अफसोस की जगह है, मगर खैर, जो कुछ होना था हो गया, अब तुम घर पर चलो और नेकनीयती के साथ दुनिया में काम करों।

भूतनाथ––ठीक है, मगर मैं यह सोचता हूँ कि अब घर पर जाने से फायदा ही क्या है? मेरी स्त्रो मर गई और अब दूसरी शादी मैं कर ही नहीं सकता, फिर किस सुख के लिए शहर में चलकर बसूँ?

मैं––हरनामसिंह और कमला का भी तो कुछ खयाल करना चाहिये। इसके अतिरिक्त क्या विधुर लोग शहर में रहकर नेकनीयती के साथ रोजगार नहीं करते?

भूतनाथ––कमला और हरनामसिंह होशियार हैं और एक अच्छे रईस के यहाँ परवरिश पा रहे हैं, इसके अतिरिक्त किशोरी उन दोनों की ही सहायक है, अतएव उनके लिए मुझे किसी तरह की चिन्ता नहीं है। बाकी रही आपकी दूसरी बात, उसका जवाब यह हो सकता है कि शहर में नेकनीयती के साथ अब मैं कर ही क्या सकता हूँ, क्योंकि मैं तो किसी को मुँह दिखलाने लायक ही नहीं रहा। एक दयाराम वाली वारदात ने मुझे बेकाम कर ही दिया था, दूसरे इस लड़के के खून ने मुझे और भी बर्बाद और बेकाम कर दिया। अब मैं कौन-सा मुँह लेकर भले आदमियों में बैठूँगा?

मैं––ठीक है, मगर इन दोनों मामलों की खबर हम लोग या दो-तीन खास-खास आदमियों के सिवाय और किसी को नहीं है और हम लोग तुम्हारे साथ कदापि बुराई नहीं कर सकते।

भूतनाथ––तुम्हारी इन बातों पर मुझे विश्वास नहीं हो सकता, क्योंकि मैं इस बात को खूब जानता हूँ कि आजकल तुम मेरे साथ दुश्मनी का बर्ताव कर रहे हो और मुझे दारोगा के हाथ में फँसाना चाहते हो, ऐसी अवस्था में तुमने मेरा भेद जरूर कई आदमियों से कह दिया होगा।

मैं––नहीं भूतनाथ, यह तुम्हारी भूल है कि तुम ऐसा सोच रहे हो! मैंने तुम्हारा भेद किसी को नहीं कहा और न मैं तुम्हें दारोगा के हवाले करना चाहता हूँ। बेशक, दारोगा ने मुझे इस काम के लिए लिखा था, मगर मैंने इस बारे में उसे धोखा दिया। दारोगा के हाथ की लिखी चिट्ठियाँ मेरे पास मौजूद हैं, घर चलकर मैं तुम्हें दिखाऊँगा, और उनसे तुम्हें मेरी बातों का पूरा सबूत मिल जायेगा।

"इसी समय बात करते-करते मुझे कुछ नशा गालूम हुआ और मेरे दिल में एक प्रकार का खुटका हो गया। मैंने घूमकर अर्जुनसिंह की तरफ देखा तो उनको भी आँखें लाल अंगारे की तरह दिखाई पड़ीं। उसी समय भूतनाथ मेरे पास से उठकर दूर जा बैठा गौर बोला––

भूतनाथ––जब मैं तुम्हारे घर जाऊँगा, तब मुझे इस बात का सबूत मिलेगा, मगर मैं इसी समय तुम्हें इस बात का सबूत दे सकता हूँ कि तुम मेरे साथ दुश्मनी कर रहे हो।

"इतना कहकर भूतनाथ ने अपनी जेब से निकालकर मेरे हाथ की लिखी वे