पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/२३१

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या बगीचे के नल होते हैं। संयोग से फव्वारों का एक नल टूट गया, उसकी मरम्मत की गई, तो दूसरी जगह से फट गया यहाँ तक कि तीस-चालीस वर्ष से बड़े-बड़े कारीगरों ने अपनी-अपनी कारीगरी दिखाई परन्तु सब व्यर्थ हुआ। अब तक तलाश है कि कोई उसे बना कर अपना नाम करे, मतलब यह कि 'दीवार कहकहा' भी ऐसी ही कारीगरी से बनी है जिसकी कीमियाई बनावट मेरी समझ में यों आती है कि सतह जहाँ जमीन से आसमान तक कई हिस्सों में अलग की गई है, लम्बाई का भाग कई हवाओं से मिला है जैसे आक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, कार्बोलिकएसिड गैस, क्लोराइन इत्यादि । फिर इन हवाओं में से और भी कई चीजें बनती हैं जैसा कि नाइट्रोजन का एक मोरक्कब पुट ऑक्साइड आफ नाइट्रोजन है (जिसको लाफिंग गैस भी कहते हैं)। बस दुनिया के उस सतह पर जहाँ लाफिंग गैस जिसको हिन्दी में हंसाने वाली हवा कहते हैं पाई गई है, उस जगह पर यह दीवार सतह जमीन से इस ऊँचाई तक बनाई गई है। इस जगह पर बड़ी दलील यह होगी कि फिर बड़ी बनाने वाले आदमी कैसे उस जगह अपने होश में रह सकें वे क्यों न हँसते-हँसते मर गये? और यही हल करना पहले मुझसे रह गया था जिसे अब उस नजीर से जो अमेरिका में कायम हुई है हल करता हूँ, याने जिस तरह एक मकान कल के सहारे एक जगह से उठा कर दूसरी जगह रख दिया जाता है उसी तरह यह दीवार भी किसी नीची जगह में इतनी ऊँची बनाकर कल से उठाकर उस जगह रख दी गई है जहाँ अब है। लाफिंग गैस में यह असर है कि मनुष्य उसके सूंघने से हँसते-हँसते दम घुट कर मर जाता है।

अब यह बात रही कि आदमी उस तरफ क्यों गिर पड़ता है ? इस खिचाव को भी हम समझे हुए हैं परन्तु उसकी केमिस्ट्री (कीमियाई) अभी हम न बतावेंगे, इसको फिर किसी समय पर कहेंगे।

"दृष्टान्त के लिए यह नजीर लिख सकते हैं कि ग्वालियर की जमीन की यह तासीर है कि जो मनुष्य वहाँ जाता है, वहीं का हो जाता है, जैसे यह कहावत है कि एक कांवर वाला जिसके कांवर में उसके माता-पिता थे वहाँ पहुँचा और कांवर उतार कर बोला कि तुम्हारा जहाँ जी चाहे जाओ, मुझको तुमसे कुछ वास्ता नहीं। उस तपस्वी के माता-पिता बुद्धिमान थे, उन्होंने अपने प्यारे लड़के की आरजू-मिन्नत करके कहा कि हमको चम्बल दरिया के पार उतार दो फिर हम चले जायेंगे । लाचार होकर बड़ी हुज्जत से लड़का उनको दरिया के पार ले गया, ज्योंही उस पार हुआ, त्योंही चाहा कि अपनी नादानी से लज्जित होकर माता-पिता के चरणों पर गिर कर माफी चाहे, परन्तु उसके माता-पिता ने कहा कि 'ऐ बेटा, तेरा कुछ कसूर नहीं, यह तासीर उस जमीन की थी।'

'दीवार कहकहा के उस तरफ भी ऐसा ही खिंचाव है, जिसको हम ग्वालियर की हिस्टरी तैयार हो जाने पर यदि जीते रहे तो किसी समय परमेश्वर कृपा से आप लोगों पर जाहिर करेंगे, अभी तो हमको यह विश्वास है कि इतिहास ग्वालियर के बनाने वाले ग्रेटर साहब ही इस खिंचाव के बारे में कुछ बयान करेंगे। इतिहास लेखक महाशय को चाहिए कि ग्वालियर की तारीफ में इस किस्से की हकीकत जरूर बयान करें कि कांवर वाले ने कांवर क्यों रख दी थी और इसकी तारीख लिखें या इस किस्से को झूठ साबित