पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/६४

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नानक ने बड़े अदब के साथ महाराज को सलाम किया और इन्द्रदेव का इशारा पाकर एक किनारे बैठ गया। इस समय नानक के हाथ में एक बहुत बड़ी मगर लपेटी हुई तस्वीर थी जो कि उसने अपने बगल में लगा रखी थी।

नानक के बाद हाथ में तस्वीर लिए अर्जुन भी पहुंचा और महाराज को सलाम कर नानक के पास बैठ गया। उसी समय कमला का भाई अथवा भूतनाथ का लड़का हरनामसिंह दिखाई दिया, वह भी महाराज को प्रणाम करके अर्जुन के बगल में बैठ गया,हरनामसिंह के हाथ में एक छोटी-सी सन्दूकड़ी थी जिसे उसने अपने सामने रख लिया।

इसके बाद नकाब पहने हुए तीन औरतें कमरे के अन्दर आईं और अदब के साथ महाराज को सलाम करती हुई दूसरे दरवाजे से कमरे के बाहर निकल गईं।

इस समय भूतनाथ और देवीसिंह के दिल की क्या हालत थी, सो वे ही जानते होंगे। उन्हें इस बात का तो विश्वास ही था कि इन औरतों में एक तो भूतनाथ की स्त्री और दूसरी चम्पा जरूर है, मगर तीसरी औरत के बारे में कुछ भी नहीं कह सकते थे।

महाराज--(इन्द्रदेव से) इन औरतों में भूतनाथ की स्त्री और चम्पा जरूर होगी?

इन्द्रदेव--(हाथ जोड़कर) जी हाँ कृपानाथ ।

महाराज--और तीसरी औरत कौन है ?

इन्द्रदेव--तीसरी एक बहुत ही गरीब, नेक, सीधी और जमाने की सताई हुई औरत है जिसे देखकर और जिसका हाल सुनकर महाराज को भी बड़ी ही दया आयेगी। यह वह औरत है जिसे मरे हुए एक जमाना हो गया, मगर अब उसे विचित्र ढंग से पैदा होते देख लोगों को बड़ा ही ताज्जुब होगा।

महाराज--आखिर वह औरत है कौन ?

इन्देव--बेचारी दुःखिनी कमला की माँ, यानी भूतनाथ की पहली स्त्री।

यह सुनते ही भूतनाथ चिल्ला उठा और उसने बड़ी मुश्किल से अपने को बेहोश होने से रोका।