पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/७१

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नमकहलाल कुत्ता मेरी धोती पकड़कर बार-बार खींचने और बाग के पिछले हिस्से तरफ चलने का इशारा करने लगा और जब मैं उसके इशारे के मुताबिक चला तो धोती छोड़कर आगे-आगे दौड़ने लगा। कदम बढ़ाता हुआ मैं उसके पीछे-पीछे चला। समय मालूम हुआ कि मेरा कुत्ता जख्मी है, उसके पिछले पैर में चोट आई है, इसलिए पैर उठाकर दौड़ता था। अतः कुत्ते के पीछे-पीछे चलकर मैं पिछली दीवार के पास पहुँचा जहाँ मालती और मोमियाने की लताओं के सबब घना कुंज और पूरा अन्धक हो रहा था। कुत्ता उस झुरमुर के पास जाकर रुक गया और मेरी तरफ देखक दुम हिलाने लगा। उसी समय मैंने झाड़ी में से तीन आदमियों को निकलते हुए देखा ज बाग की दीवार के पास चले गए और फुर्ती से दीवार लाँघकर पार हो गए। उन तीनों से एक आदमी के हाथ में एक छोटी-सी गठरी थी जो दीवार लाँघते समय उसके हाथ छूटकर बाग के भीतर ही गिर पड़ी। निःसन्देह वह गठरी लेने के लिए भीतर को लौटत मगर उसने मुझे और मेरे कुत्ते को देख लिया था, इसलिए उसकी हिम्मत न पड़ी।

गठरी गिरने के साथ ही मैंने जफील बजाई और खंजर हाथ में लिए हुए ही उस आदमी का पीछा करना चाहा अर्थात् दीवार की तरफ बढ़ा, मगर कुत्ते ने मेरी धोती पकड़ ली और झाड़ी की तरफ हट कर खींचने लगा, जिससे मैं समझ गया कि इस झाड़ी में भी कोई छिपा हुआ है, जिसकी तरफ कुत्ता इशारा कर रहा है। मैं सम्हल कर खड़ा हो गया और गौर के साथ उस झाड़ी की तरफ देखने लगा। उसी समय पत्तों की खड़-खड़ाहाट ने विश्वास दिला दिया कि इसमें कोई और भी है । मैं इस खयाल से कि जिस तरह पहले तीन आदमी दीवार लांघ कर भाग गये हैं, उसी तरह इसको भी भाग जाने न दूंगा, घूमकर दीवार की तरफ चला गया। उस समय मैंने देखा कि एक चार डंडे की सीढ़ी दीवार के साथ लगी हुई है, जिसके सहारे वे तीनों निकल गये थे। मैंने वह सीढ़ी उठाकर उस गठरी के ऊपर फेंक दी जो उसके हाथ से छूट कर गिर पड़ी थी, क्योंकि मैं उस गठरी की हिफाजत का भी खयाल कर रहा था।

सीढ़ी हटाने के साथ ही दो आदमी उस झाड़ी में से निकले और बड़ी बहादुरी के साथ मेरा मुकाबला किया, और मैं भी जी तोड़कर उनके साथ लड़ने लगा । अन्दाज से मालूम हो गया कि गठरी उठा लेने की तरफ ही उन दोनों का विशेष ध्यान है। आप सुन चुके हैं कि मेरे हाथ में केवल खंजर था, मगर उन दोनों के हाथ में लम्बे-लम्बे लट्ठ थे और मुकाबला करने में भी वे दोनों कमजोर न थे । अतः मुझे अपने बचाव का ज्यादा खयाल था और मैं तब तक लड़ाई खतम करना नहीं चाहता था, जब तक मेरे आदमी न आ जायें, जिन्हें जफील देकर मैंने बुलाया था।

आधी घड़ी से ज्यादा देर तक मेरा उनका मुलाबला होता रहा। उसी समय मुझे रोशनी दिखाई दी और मालूम हुआ कि मेरे आदमी चले आ रहे हैं।उनकी तरफ देखकर मेरा ध्यान कुछ बँटा ही था कि एक आदमी के हाथ का लट्ठ मेरे सिर पर बैठा और मैं चक्कर खाकर जमीन पर गिर पड़ा।