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चतुरी चमार

निराला जी की ये कहानियाँ समाज के सभी स्तरों को छूती ही नहीं हैं, उन्हें भेद डालती हैं, उनके चिथड़े उड़ा देती हैं। मार्मिकता और संवेदना के सहारे हृदय के भीतर छिपी भावनाओं, कमजोरियों और कुतूहल को जगाकर, प्राणियों में रस और राग उत्पन्न कर, विभिन्न परिस्थितियों में मानव जीवन का अध्ययन और विश्लेषण करनेवाली ये कहानियाँ आप का मनोरंजन ही नहीं करेंगी, आप को अनुभव करने और सोचने के लिए मजबूर भी करेंगी। 'चतुरी चमार' जैसी संवेदनाशील कहानियाँ हमारे साहित्य में बेजोड़ हैं।

 

मूल्य १॥)

 

किताब-महल □ प्रकाशक □ इलाहाबाद

 


Only Cover printed at the Krishna Press, Allahabad