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चतुर्थ अंक
चाणक्य––महत्त्वाकाक्षा का मोती निष्ठुरता की सीपी में रहता है! चलो अपना काम करो, विवाद करना तुम्हारा काम नही। अब तुम स्वच्छन्द होकर दक्षिणापथ जाने की योजना करो ( प्रस्थान )।
[ चन्द्रगुप्त कल्याणी को लिटा देता है ]
च० १२