पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/१४

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चाॅंदी की डिबिया
[अङ्क १
 

अगर कोई जान भी जाय, कि मैंने उसके रुपये उड़ा दिए, तो क्या परवा। चुडैल!

[सोफ़ा पर पैर रख लेता है।]

शोर मत करो और जो चाहे सो करो। शराब उंडेलो और ख़ूब डटकर पियो। सिगरेट लो, जो चाहे सो लो। तुम्हारे बग़ैर वह हरगिज़ न फँसती।

[आँखे बन्द करके।]

तुम टोरी हो, मैं ख़ुद लिबरल हूं, थोड़ी-सी पियो।-मैं बड़ा बाँका आदमी हूँ।

[उसका सिर पीछे की तरफ़ लटक जाता है, वह मुसकुराता हुआ सो जाता है, और जोन्स खड़ा होकर उसकी तरफ़ ताकता है; तब जैक के हाथ से गिलास छीनकर पी जाता है। वह बटुए को जैक की कमीज़ के सामने से उठा लेता है। उसे रोशनी में देखता है और सूँघता है।]

जोन्स

जआ किसी अच्छे आदमी का मुँह देखकर उठा था।