पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/३४

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चाँदी की डिबिया
[ अड्क १
 

बार्थिविक

मैंने तो पहिले ही कहा था। मगर इससे होता क्या है।

मिसेज़ बार्थिविक

वाह! तुम इन बातों को इतनी तुच्छ क्यों समझते हो। मेरे लिए तो यह आफ़त से कम नहीं। और तुम और तुम्हारे लिबरल भाई इन आदमियों को और शह देते हैं।

बार्थिविक

[ भौहें चढ़ाकर ]

सब दलों के प्रतिनिधियों का होना उचित सुधार के लिए ज़रूरी है।

मिसेज़ बार्थिविक

तुम्हारे सुधार की बात सुनकर मेरा जी जल उठता है। समाज सुधार की सारी बातें पागलों का सी

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