पृष्ठ:चित्रशाला भाग 2.djvu/१५१

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चित्रशाला 5 बरिस्टर०-और फिर फिसको बनाar? कौन मला प्रादमी नगी गवाही बनाना पसंद करेगा? वह मजन प्रसन्न-मुख होकर योले- तब तो निश्चय रपए वसूल हो जायगे। बैरिस्टर०-अस्सी हजार तैयार रखिएगा । यह सजन -भजी टमी वक्त नीजिए । घर डिग्री मित्री, टघर पाप रखए ले लें। ऐसी वात थोड़ी ही। - टीक समय पर दस्तावेज़ का मुकदमा पेश हुमा । जिस पर नालिश हुई थी, वह ताल्लुकेदार थे। उनकी पोर में भी दो वैरिस्टर थे। ताल्लुक्केदार ने दस्तावेज को तसलीम नहीं किया, और कहा-"यह दस्तावेज़ जाती है।" इधर गवाहों में स्वयं बरिस्टर विश्वेश्वरनाथ के हस्तातर विद्यमान थे। ऐसी हालत में दस्तावेज़ का जाली होना सरत्नता पूर्वक मान्य नहीं हो सकता था। ताल्लुकेदार माहय ने अपने हस्ताक्षरों के संबंध में भी कहा कि ये जाजी है। श्रय विश्वेश्वरनाथ के होश गुम हो गए। उन्हें यह विश्वास नहीं 7. कि पूरा दस्तावेज ही नाजी होगा। उन्होंने समझा था कि. दस्तावेज सही है, केवल एक प्रतिष्टित गवाह के हस्ताघर की आवश्यकता है, और वह भी केवल इसलिये कि जिन दो गवाहों के हस्ताक्षर उस पर थे, वे मृत हो चुके थे। नोम ने उनकी श्रॉनों पर पट्टी बाँध दी थी, और टन्होंने टस दस्तावेज़ के असनी होने के संबंध में यथेष्ट जाँच-पड़तान नहीं की थी। यदि दस्तावेज जानी प्रमाणित हो गया, तो वह भी बाँधे जायंगे; क्योंकि उनकी गवाही टस पर यी! भतएव इसके यह अयं हुए कि वह भी टरा लाज में सम्मिलित हैं। यह दस्तावेज हस्ताचर के विशेषज्ञ के पास भेजा गया । पंद्रह. -