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अनमोल हीरे


गुन तभी पा सके निरालापन।
जब गुनी जन बुरे नहीं होते॥
सुर तभी है कमाल दिखलाते।
जब गले बेसुरे नहीं होते॥

है किसी मे अगर नही जौहर।
बीर तो वह बना न कर हीले॥
सूरमापन कभी नही पाता।
काट सूरत गला भले ही ले॥

जो बना जैसा बना वैसा रहा।
बन सका कोई बनाने से नहीं॥
चितवने तिरछी सदा तिरछी मिली।
गरदनें ऐंठी सदा ऐंठी रही॥

सब पढ़ पा सके न पूरा ज्ञान।
हे बहुत से पढ़े लिखे भी लठ॥
सुर सबों में दिखा सका न कमाल।
कम न देखे गये सुरीले कठ॥