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अनमोल हीरे


ढग से बचते बचाते ही रहें।
बे-बचाये कौन बच पाया कही॥
जो बचावों को नहीं है जानता।
ब्यांचने से हाथ वह बचता नहीं॥

कौन बैरी हितू किसो का है।
है समय काम सब करा लेता॥
तरबतर तेल से किया जिस ने।
है वही हाथ सर कतर देता॥

कर सकी न बुरा बुरी संगति उसे।
दैव दे देता जिसे है बरतरी॥
बाँह बदबूदार होती ही नहीं।
क्यों न होवे काँख बदबू से भरी॥

नेक तो नेकियाँ करेंगे ही।
क्यों बिपद पर बिपद न हो आती॥
क्या नहीं पाक दूध देती है।
पीप से भर गई पकी छाती?॥