पृष्ठ:जमसेदजी नसरवानजी ताता का जीवन चरित्र.djvu/१४

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जीवन चरित्र।


के रक्तका पैसा सात समुद्र पार जानेसे कैसे रुकैगा।

इन्हीं बातोंको सोच विचारकर आप मैनचेस्टरके कारखानोंको देखनेके लिये इंगलैंड गये। भारतमाताके सौभाग्यसे आप हिन्दू नहीं थे, नहीं तो पंडित मंडली अपनी सारी काबलियत खर्च करके अपने दत्तात्रेयके समयके फटे गले धर्मशास्त्र के पन्नोंको लेकर धर्मकी दुहाई देनेसे बाज न आती और न आलसी, दुराचारी, डाही बिरादरीवाले पंचायतसे इनको बाहर किये बिना मानते।

लेकिन पारसी जातिने कभी अपने धर्मको अपनी उन्नतिमें बाधक न होने दिया और यही कारण है कि इस देशके मुट्ठी भर हमारे पारसी भाई हमारे सब कामों में नेता हैं। भारतमाताके इन सपूतों का महत्व जानना हो तो नवीन भारतके कामोंसे इनकी सेवाओंको निकालकर देखिये कि क्या बच जाता है।

कर्मवीर ताताने आंखें खोलकर इंगलैंडमें सफर किया और वहांके कारख़ानोंके गुप्त भेदको समझा। आपको इस बातका पूरा विश्वास होगया कि मिल ऐसी जगहमें खोलनी चाहिये जहां आस पासमें कपासकी खेती अधिक होती हो। कुछ दिनके बाद और लोगोंने भी आपके इस विचारसे फायदा उठाया। इसी बजहसे खानदेश, मध्यप्रान्त और गुजरातमें बहुत सी मिलें खुल गईं।

ताताजीने बहुत सोच बिचारके बाद नागपुरको पसंद