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सलीम रो रहा था। वह अब भी हिन्दुस्तान जाने के लिए इच्छुक नहीं था; परन्तु अमीर ने अकड़कर कहा-'प्रेमा! इसे जाने दे! इस गाँव में ऐसे पाजियों का काम नहीं।' सलीम पेशावर में बहुत दिनों तक भीख माँगकर खाता और जीता रहा। उसके 'बुतेकाफिर' वाले गीत को लोग बड़े चाव से सुनते थे।