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॥ श्रीः॥
जिसको
जोधपुरनिवासी
मुन्शी देवीप्रसादजीने
फारसी तुजुकजहांगीरीसे
हिन्दीमें अनुवादित किया।
कलकत्ता।
९७ मुक्तारामबाबूष्ट्रीट, भारतमित्र प्रेससे
पण्डित कृष्णानन्द शर्मा द्वारा
मुद्रित और प्रकाशित।
सन् १८०५ ई।