शिकार।
२३ जीकाद (फागुन बदी ९) रविवार(१)को बादशाहने ७६६ मछलियां पकड़कर अपने सम्मुख अमीरों और दूसरे नौकरोंको बांटीं।
एक ऊंट जिस पर ५ नीलगायें ४२ मनकी लादी गई थीं उठ कर खड़ा होगया था। यह ऊंट शिकारके घरमें उत्पन्न हुए ऊंटों मेंसे था।
मुल्ला नजीरी जो फारसी भाषाका अच्छा कवि था गुजरातमें व्यापार करता था। बादशाहने प्रशंसा सुन कर उसे बुलाया। उसने आकर एक कविता सुनाई। बादशाहने एक हजार रुपये घोड़ा और सिरोपाव उसको दिया।
मुरतिजाखांने हकीम हमीद गुजरातीकी बहुत प्रशंसा की थी बादशाहने उसको बुलाया और हकीमोंसे अधिक उसमें सज्जनता देखी। परन्तु यह भी सुना कि गुजरातमें उसके सिवा कोई हकीम नहीं है और वह भी जाना चाहता था इसलिये एक हजार रुपये कई शाल दुशाले और एक गांव देकर बिदा किया।
बकरईद।
१० जिलहज्ज (फागुन सुदी १२) गुरुवारको पशुवध बन्द हो चुका था इसवास्ते बादशाहने शुक्रवारको ईदका बलिदान करनेकी आज्ञादी और तीन बकरियां अपने हाथसे बध कीं। फिर शिकार को गया एक नीलगायने बहुत थकाया जो कईबार गोली खाकर
(१) तुजुक जहांगीरीमें तारीख ३ जीकाद रविवारको लिखी हैं वह पंचांगसे नहीं मिलती जिसके हिसाबसे तारीख ३ मंगलको होती है यह तारीख ३ मूलमें २३ होगी। लेखककी भूलसे ३ लिखी रह गई। २३ को चण्डू पंचांगसे तो चन्द्रवार होता है पर बादशाही पंचांगमें रविवार होगा और शव्वालका महीना २९ दिनका माना गया होगा जो चण्डू पंचांगके हिसासे ३० दिनका होता है।