पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२००

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जहांगीरनामा।

हाथ आया। तिराहके जो बन्दी थे वह भी छूट गये। इधरसे कोई बड़ा आदमी नहीं भरा। बादशाहने मोतकिदखांको लश- करखांका खिताब दिया।

शिकार।

१ खुरदाद (प्रथम जेठ सुदी १.४) गुरुवारको रातको बाट शाह शिकारके वास्ते पुष्करको गया और शुक्रवारको दो शेर बन्दूकसे मारी।।

नकौवखांकी मृत्यु।

इमौ दिन नकोबखांके मरनेकी अर्जी हुई।" उसको खौं दो महीने पहले मर गई थी दोनो मियां बीबीमें बड़ा प्यार था। इम लिये बादशाहने इमको भौ बीबीको पास खाजाजी की दरगाहमें गाड़नेका हुक्म दिया। "

रानाकी लड़ाई।

बादशाहने दियानतखाको उदयपुरमें खुर्रमके पास हुक्म पहुंचाने के वास्ते भेजा था उसने आकर खुर्रमके साहस और प्रवन्धको बड़ी तारीफ की।

फिदाईखांकी मृत्यु ।

'फिदाईखां जो खुर्रमके लशकरका बखशी था १२ (द्वितीय जेठ बदौ ५०) को मर गया। यह बादशाहका लड़कपनका नौकर था।

मिरजा रुस्तम।

"मिरजा रुस्तम अपने कुकमोंसे लज्जित होकर पछताने लगा था इसलिये बादशाहने उसका अपराध क्षमा करके उसको सम्मुख बुलाकर खिलअंत पहनाया और दरबार में आनेको आज्ञा दी।

हथनाका बच्चा देना।

११ तौर (आषाढ़ बदौं ३०) रविवारको रातको शाही हथनीने बादशाहके सम्मुख बच्चा दिया । बादशाहने गर्भको अवधि निर्णय को तो विदित हुआ कि जो बच्चा नर हो तो डेढ़ सालमें और मादा हो तो उन्नीस महीने में जनतो है। आदमीका बच्चा तो