पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२१२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१९६
जहांगीरनामा।

मेवामें लेजाते थे। इस वर्ष ऐसे लोगोंको बादशाहने नीचे लिखे अनुसार दान दिये थे।

नकद ५५०००) खेत २६ हल . जमीन १८०००० बौधे धान ११००० गोन। मोती ७३२ नग ३६०.००के कान छिदानेवालोंको।

पोता।

इन्ही दिनों में बधाई आई कि ११ असफन्दार (फागुन सुदी २) रविवारको बुरहानपुरमें शाह मुरादको बेटोसे परवेजको ईश्वरने वेटा दिया है। बादशाहने उसका नाम सुलतान दूरन्देश रखा।

१ फरवरदौन २० सफर (चैत्र बंदी ७) को ५५ घड़ी दिन चढ़े सूर्य मौन राशिसे मेख में आया। बादशाह तीन घड़ी रात गये नौरोजको सभामें सिंहासन पर बैठा। सब लोगोंने मुजरा किया। एतमाद्दौलाके पांच हजारौं जांत और दो हजार सवारोंके मनसब पर हजारो जात और एक हजार सवारं बढ़े। कुंवर कर्ण, जहां- गौर कुलोखां और राजा बरसिंह देवको शाही घोड़े मिले।

आसिफखांको भेट रत्नों और रत्नजड़ित सोनेके पदाथोंकी थी। दूसरे दिन बादशाहने उसमें पंचासौ हजारको चौ0 पसन्द करके ले ली। इसी दिन जड़ाऊ तलवार परतले. सहित कर्णको दी।

माडौं (मंडू)।

‘बादशाहका विचार दक्षिण जानेका था इसलिये अबदुहोम मामूरीको हुका हुआ कि मांडोंमें जाकर नया राजभवन' बनावें और अगले बादशाहोंके स्थानोंका भी जीर्णोद्धार करें।

तीसरे दिन राजा बरसिंह देवको भेट हुई। बादशाहने उसमेंमे एक लाल कई मोती और एक हाथी लेलिया ।

चौथे दिन सुरतिजाखांका मनसव पांच सदी जात और दो सौ सवारोंक बढ़ानेसे दो हजारो जात और अढ़ाई सौ सवारोंका