शाहने अपने बड़े बेटे सफो मिरजाको मरवा डाला है। वह मुहर्रम सन् १०२४ (पौष सुदी १२ संवत् १६७१) को हम्मामसे निकलते समय बहबूद नामक एक दासके हायसे मारा गया। बाद- शाहने ईरानके आनेवालोंसे इसका कारण बहुत पूछा परन्तु किसी ने कोई सन्तोषदायक बात नहीं कही।
३ तौर (आषाढ़ सुदी) को पानी छिड़कनेका त्यौहार हुआ। बादशाहो सेवकोंने एक दूसरे पर गुलाबजल डालकर खुशी मनाई।
१८ (भाषाढ़ सुदी १५) को खानखानां और शाह नवाजखांकी भेट बादशाहके पास पहुंची । खानखानाको भेटमें इतने पदार्थ थे-
लाल ३, मोती १०३, याकूत १०२, जड़ाऊ कटार २, कलगी जड़ाज याकूत और मोतियोंको १, जड़ाऊ सुराही १, जड़ाऊ तल- वार १, तरकश मखमलका मढ़ा हुआ १, कञ्चन जड़ाऊ १, अंगूठी होरेको ।
यह सब एक लाख रुपयेके हुए। इनके सिवा यह चीज भी थीं-
'दक्षिणी कपड़े सादे और जरीके, कर्नाटकके कपड़े सादे और जरीके, ५ हाथी और एक घोड़ा जिसकी गरदनके बाल जमीन तक पहुंचते थे।
शाह नवाजखांको भेटमें ५ हाथी और ३०० थान नाना प्रकार के कपड़ोंके थे।
राजा रोजअफजूं।
राजा संग्राम बादशाहो अमौरोंसे लड़कर मारा गया था। उसका बेटा बचपनसे बादशाहके पास रहता था। बादशाहने उसको मुसलमान करके राजा रोजअफजंको पदवी दी। उसके बायका राज्य भी उसको देदिया और एक हाथी इनायत करके घर उ.निकी छुट्टी दी।
जगतसिंहका आना।
२४ (सावन बदी ६) को कुंवर कर्ण के बेटे जगतसिंहने जो १२