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पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२६२

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जहांगीरनामा।


खजरका पेड़।

यहां. बादशाहने एक विचित्र खजूरका पेड़ देखा। जड़में उसका तना एक था। ६ गज ऊपर जाकर वह दोहरा होगया था। एक तरफ दस गज ऊंचा था दूसरी तरफ ॥ गज। बीच में ४॥ गजका अन्तर था। जमीनसे फल पत्तों तक एक तनेको ऊंचाई १६ गज और दूसरेको १५॥ गज यो। पत्तोंसे चोटी तक अढ़ाई गज अचाई थी। गोलाई पौने तीन गज थी। बादशाहने उसके नीचे तीन गज ऊंचा एक चबूतरा बनवाकर चित्रकारोंको आज्ञा . दी कि जहांगीरनाममें उसका चिन खेंचलें।

२७ (माघ सुदौ १०) को कूच होकर आधपाव दो कोस पर गांव हिन्दुवालमें सवारी ठहरौ।

• २८ (माघ सुदी १.१) को बादशाह दो कोस चलकर कालिया- दहमें ठहरा।

कालियादह।

कालियादह एक राजभवन है जो मालवेके सुलतान महसूद खिलजीके पोते. सुलतान गयासुद्दीनके वेटे सुलतान नासिरुद्दीनने उज्जैन में बनवाया था। : कहते हैं कि गरमी उसके मिजाजमें बहुत बढ़ गई थी। इससे पानी में रहा करता था और इस भवनको नदीमें बनवाकर पानीको नहरें हर तरफसे अन्दर लाया था। उचित स्थानों पर छोटे छोटे हौज बनवाये थे उनमें वह नहरें गिरती थीं।

बादशाह लिखता है, यह बहुत: सनोहर और आनन्दप्रद बिलासस्थान है। हिन्दुस्थानके उत्तमोत्तम विशाल भवनों मेंसे. एक भवन यह भी है। मैंने अपने आनेसे पहिले सिलावटीको भेजकर इस स्थानको सुधरवा दिया था। मैं इसकी शोभा पर मोहित होकर तीन दिन तक वहां ठहरा रहा।"

उज्जैन।

उज्जनके विषयमें बादशाह लिखता है-"उज्जैन पुराने शहरों