'२६० जहांगीरनामा। गोरखर . . . . ६
- खरगोश ... .......:
... २३ ___. - पक्षी १३८६४ जिनका व्यौरा यों है। ...:. कबूतर , : . . . . . . . . १०३४८ खगड़झगड़ . :: ...:.:.:.३ . उकाब कलेवाज (चौल) ::, ... ... . .. .: २३ । । जुगद : ... ... . .. ... .. .. .. .३६. .. कौतान " ::...:..:: :.:. .........१२ मूशजोज ... ... ... . : . .: - ५ . चिड़ियां . . .. ..:, ४१ . फाखता:...::.:.:... . . . . :: ..: : : २५:: .. उल्ल . ... ... .... : ..३० मुर्गाबी कुजं करवानक आदि . . . . . . . .. :१:५० काग ... .. ३२७६ मगरमच्छ . . . . . . . . : ... १० बारहवां नौरोज। ३० असफंदार १२ रबीउलअब्बल १०३६ (फागुन सुदी १३) सोमवारको एक घड़ी दिनसे सूर्य मौन राशिसे मेखमें आया। बादशाह उसी शुभमुहर्तमें सिंहासन पर बैठा। आमखास दीवान- खाना कीमती कपड़ोंसे सजाया गया था : अधिकांश .अमीर और बड़े बड़े आदमी खुर्रमके पास दक्षिणमें थे तोभी ऐसौ. मजलिस जुड़ गई थी कि पिछले वर्षों से कुछ न्य नता नहीं रही थी मंगल- वारको भेंट आनन्दखांको देनेका हुक्म हुआ। ... इसी दिन शाह खुर्रमको अर्जी पहुंचौ कि लोग सफर और लड़ाई में हैं इसलिये वर्षभरको भेटें माफ होजाना चाहिये। इस पर वादशाहने हुक्म देदिया कि इस नौरोजमें कोई कुछ भेट न करे।