सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/३०७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

संवत् १६७४। २८१ उपमा दी है। दूसरी जगह कनखियोंसे देखनेको भौंरके बैठनसे कमलका हिलना कहा है। .. . .. अंजीर 1 . . . यहां अहमदाबादके अंजौर आये। बादशाह लिखता है कि बुरहानपुरके अंजीर भी मोठे और बड़े होते हैं। परन्तु यह अंजीर उनसे कम दानेदार और अधिक मोठे हैं स्वादमें अच्छे हैं। बुध और वृहस्पतिवारको भी वहीं पडाव रहा। .. . - सरफराजखांकी भेटः।। सरफराजखांने गुजरातसे आकर भेट दिखाई ! उसमेंसे बाद- शाइने भोतियोंकी एक माला जो ११ हजार रुपयेमें खरीदी गई थो, दो हाथी, दो घोड़े, ७ बैल, बहल और कई थान गुजराती कपड़ोंके अंगीकार किये। शेष पदार्थ उसौको लौटा दिये। यह तौन पौढ़ीका नौकर था। .: : : रोह मझली। . ' .१ दे (पौष बदी १०) शुक्रवारको बादशाह सवा चार कोस चलकर गांव झसोदके तालाब पर उतरा। यहां खिदमतिये प्यादों का सरदार राय मान रोह मछली पकड़कर लाया जो वादशाह को बहुत रुचिकर.यौ । बादशाह सब प्रकारको हिन्दुस्थानी मछ. लियोंमें रोहको उत्तम समझता है और इधर ११ महीनेसे बहुत खोजने परभी नहीं मिली थीं। इसलिये उसको देखकर अति प्रसन्न हुधा और राय मानको एक. घोड़ा दिया। .:: .. .:: : अहमदाबाद गर्दावाद ।:: ...... ., बादशाह लिखता है कि दोहदका परगना गुजरातमें है यहां से सब-वस्तुओंमें, भिवता विदित होती है। जंगल और भूमि और तरहको, मनुष्य भी पृथक प्रकृतिक तथा बोलियां औरहौ तौरको हैं.।, बन जो इस मार्गमें देखे गये उनमें ग्राम खिरनी और इमली आदि फलोंके वृक्ष थे। खेतोंकी रक्षा थूहरके झाड़ोंसे कोजाती है। किसानोंने खेतियोंके चारों ओर थूहरको बारें लगाकर अपनी